For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उड़न -खटोले पर चढ़े, आये 'प्रभु' निर्दोष,
अपनी निष्क्रिय फ़ौज में जगा गए कुछ जोश !

राहत की चाहत जिन्हें उन्हें न पूछे कोय ,

इधर-उधर घूमे फिरे और गए फिर सोय !

भटक रहे विपदा पड़े, ढूंढ रहे हैं ठांव ,

ये अपने सरकार जी कब बांटेंगे छाँव ?

विपदा खूब भुना रहे सत्ता का सुख भोग,
भूखे,नंगे ,काँपते इन्हें न दिखते लोग !

श्रेय कौन ले जाएगा मची हुई है होड़,

जोड़-तोड़ के खेल में गए कई रण-छोड़ !

_____________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:20pm

राहत की चाहत जिन्हें उन्हें न पूछे कोय ,

इधर-उधर घूमे फिरे और गए फिर सोय ...सुंदर 

Comment by Harish Upreti "Karan" on July 3, 2013 at 2:07pm

वाह बहुत सुन्दर सर......

Comment by वेदिका on July 3, 2013 at 1:55pm

उड़न खटोले पर चढ़े, आये प्रभू निर्दोष  :)))))))))))))

बढ़िया!!

बधाई लीजिये!   

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 1:47pm
आदरणीय...विश्वम्भर शुक्ल जी, ......" राहत की चाहत जिन्हें उन्हें न पूछे कोय ,

इधर-उधर घूमे फिरे औरगए फिर सोय !" सुंदर पंक्तियो के लिए हार्दिक शुभकामनाऐ
Comment by ram shiromani pathak on July 3, 2013 at 12:36pm

विपदा खूब भुना रहे सत्ता का सुख भोग,
भूखे,नंगे ,काँपते इन्हें न दिखते लोग !बहुत सुन्दर

हार्दिक बधाई आदरणीय /सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 3, 2013 at 11:12am

बहुत सुन्दर और सामयिक दोहे | हार्दिक बधाई आद. श्री विशाम्भर शुक्ल जी | सादर 

Comment by रविकर on July 3, 2013 at 10:45am

बहुत ही मार्मिक चित्रण-
आपकी प्रेरणा-
आभार आदरणीय-

डबल रोटियाँ खाय के, रहे बदलते सूट |
नौकर पहराते रहे, सर सत्ता को बूट |
सर सत्ता को बूट , लूट का मौका पाते |
बड़ी आपदा देख, ट्रकों में राहत लाते |
भरे उतारन वस्त्र, त्रस्त जन लखें चोटियाँ |
सड़ी-गली हर चीज, लाश सी डबल रोटियाँ ||

Comment by Shyam Narain Verma on July 3, 2013 at 10:35am

BAHOT KHOOB JEE...................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service