For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल 

बह्र : 2122  1212  22 

जाल सैयाद नें बिछाया है 

कैद में सोन पंछी आया है..

टीसता ज़ख्म पीपता रिश्ता 

सब्र की आड़ में छिपाया है..

हारी बाज़ी पलट  सका वो ही 

संग गम के जो मुस्कुराया है..

रात का चैन खो गया तो क्या 

ख्वाब तो चाँद का सजाया है..

फाँसले क्या उसे मिटाएंगे

उसकी हस्ती में सच समाया है..

कसमसाता रहा जो बरसों से 

राज़ वो आज लब पे आया है..

ज़िंदगी इश्क में फना करके 

गीत उल्फत का गुनगुनाया है..

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vasundhara pandey on August 14, 2013 at 9:45am
सुन्दर गजल प्राची जी ...बधाई !
Comment by वीनस केसरी on June 6, 2013 at 1:27am

खूबसूरत ग़ज़ल,
कहन और शिल्प के सुन्दर संयोजन ने ग़ज़ल के सौंदर्य को सरल और सहज रूप से बढ़ाया है 
ढेरो दाद ....

रात का चैन खो गया तो क्या 

ख्वाब तो चाँद का सजाया है.... बहुत खूब वाह वा


फाँसले क्या उसे मिटाएंगे

उसकी हस्ती में सच समाया है..... शानदार

कुछ शब्दों की अशुद्ध वर्तनी से पढ़ने में अटकाव महसूस हुआ
इन पर आपका ध्यानाकर्षण अपेक्षित है  .....

सैयाद - सय्याद
पंछी - पक्षी
फाँसले - फ़ासले


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2013 at 3:58pm

टीसता ज़ख्म पीपता रिश्ता 

सब्र की आड़ में छिपाया है..

    वाह वाह आपकी ग़ज़ल पढ़ कर बहुत अच्छा लगा प्रिय प्राची जी हर शेर शानदार दाद कबूल कीजिये 

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 5, 2013 at 12:10pm

वाह दीदी वाह आनंद आ गया एक शानदार मुकम्मल ग़ज़ल दिल को छूने वाली इस सुन्दर ग़ज़ल हेतु अनन्त की ओर से अनन्त बधाई स्वीकारें.

Comment by कल्पना रामानी on June 5, 2013 at 12:07am

बहुत शानदार गजल प्राची जी, हार्दिक बधाई.... 

Comment by coontee mukerji on June 4, 2013 at 9:20pm

प्राची जी , अगर आपकी लिखित गज़ल अगर एक प्रयास है तो आप जब तबियत से लिखने लगगेंगी तब क्या होगा .......?

रात का चैन खो गया तो क्या 

ख्वाब तो चाँद का सजाया है........बहुत खूब .

सादर

कुंती

Comment by vijay nikore on June 4, 2013 at 9:02pm

आदरणीया प्राची जी:

 

हिन्दी हो या अन्ग्रेज़ी... गीत हो या नव गीत, नज़्म हो या गज़ल... आप किसी भी विधा को अपना कर

उसे शान दे देती हैं।

 

आपकी रचनाओं में गहरी सोच, कल्पना की उड़ान, एवं नए प्रतिबिम्ब सदैव समाहित रहते हैं।

 

//कसमसाता रहा जो बरसों से 

राज़ वो आज लब पे आया है..// ....   वाह, वाह,  वाह !

दिल से बधाई।

सादर,

विजय

 

 

Comment by MAHIMA SHREE on June 4, 2013 at 8:56pm

टीसता ज़ख्म पीपता रिश्ता 

सब्र की आड़ में छिपाया  है..

 

हारी बाज़ी उसी नें पलटी है 

संग गम के जो मुस्कुराया ..

 

कसमसाता रहा जो बरसों से 

राज़ वो आज लब पे आया है

नमस्कार आदरणीया प्राची जी ..

कमाल की गज़ल .. सरल शब्दों में गहन प्रस्तुती.. बधाई स्वीकार करें  

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 4, 2013 at 8:49pm

मेरे द्वारा किये गए इस गज़ल प्रयास को आप सभी सुधिजनों की उत्साहवर्धक सराहना मिली, मैं हृदय से आभारी हूँ.

सादर.

Comment by ram shiromani pathak on June 4, 2013 at 6:28pm

हारी बाज़ी उसी नें पलटी है 

संग गम के जो मुस्कुराया है..शानदार

आदरणीय प्राची जी,बहुत सुन्दर ग़ज़ल////

 हार्दिक बधाई स्वीकार करें! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जी बिहतर है "
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। ग़ज़ल — 2122 2122…"
51 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service