For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख्वाबों के दिन

ख्वाबों के दिन
ख्वाबों के दिन
कब मन को तड़पाते नहीं !
सुबह की पहली किरण
जब खिड़की पर थाप देती,
चिड़ियों की चहचहाहट से
जब खुलती हैं आँखें -
ज़िंदगी एक नयी करवट लेती हुई
बिस्तर की सलवटों पर
सिकुड़ी सिमटी सी , क्यों
तटस्थ हो जाती है ?
वक़्त का हर पल
एक सुनहरा ख्वाब दिखलाता है.
कुछ सपनों के दिन,
कुछ अधूरी रातें,
खुले नैनों के द्वार से
कहाँ दौड़े चले जाते है ?
एक कसमसाहट सी होती है -
अंगड़ाई लेती हुई,
सूर्य चंद्र स्वर गिनकर
पहला कदम धरती पर रखती हूँ.
दिन की शुरूआत हर सुबह
सिपाहियों से कतार में खड़ी
कई चुनौतियाँ देती है -
घड़ी की सुई की टिक टिक के साथ,
उतरते ही गले से पहले निवाले सम,
ख्वाबों के दिन , शून्य में
विलीन हो जाते हैं. ....और
जीवन के जंग का एक नया दौर
मेरे हिस्से में टँक जाता है .

शाम को एक युद्ध जीत कर भी
सांसों को चैन मिलता नहीं.
व्यथित मन तड़पता रहता है
चुनौती बनाकर -
ख्वाबों के दिन , सपनों की रातें.
(मौलिक व अप्रकाशित रचना)

Views: 607

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:37pm

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति आदरणीया सादर बधाई स्वीकारें इस लाजवाब रचना हेतु 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 5, 2013 at 1:26am
"आदरणीया...कुन्ती जी, बहुत बहुत आभार आपका " हार्दिक शुभकामनायें
Comment by coontee mukerji on June 4, 2013 at 9:37pm

सौरभ जी , आप  रचनाओं में छिपे गूढ़ तत्वों को  पहचान जाते हैं.यह  आपकी खूबी है . मुझे हमेशा आपकी आलोचनाओं  की अपेक्षा रहती है ......सादर / कुंती

Comment by coontee mukerji on June 4, 2013 at 9:30pm

भैया राम, वंदना जी ,आबीद जी, व जितेंद्र जी आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद.सादर

Comment by coontee mukerji on June 4, 2013 at 9:27pm

विजय जी , आपका आशिर्वाद ऐसे ही बनी रही .सादर

Comment by vijay nikore on June 4, 2013 at 9:14pm

आदरणीया कुंती जी:

//सुबह की पहली किरण
जब खिड़की पर थाप देती,//

 

//ज़िंदगी एक नयी करवट लेती हुई
बिस्तर की सलवटों पर 
सिकुड़ी सिमटी सी//

 

//कुछ सपनों के दिन,
कुछ अधूरी रातें,
खुले नैनों के द्वार से//

 

//दिन की शुरूआत हर सुबह
सिपाहियों से कतार में खड़ी
कई चुनौतियाँ देती है -//

 

//जीवन के जंग का एक नया दौर
मेरे हिस्से में टँक जाता है .//

 

एक ही रचना में इतने सारे, इतने सुंदर भाव ...

किस-किस की प्रशंसा करूँ ... जितनी प्रशंसा करूँ कम है।

 

हार्दिक ... हार्दिक बधाई।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

 

 

 

Comment by ram shiromani pathak on June 4, 2013 at 6:31pm

आदरणीया कुन्ती जी,सुन्दर रचना///सादर बधाई

Comment by Vindu Babu on June 4, 2013 at 4:48pm
आदरणीय जिन्दगी अनेक आयामों को दर्शाती हुई बहुत अच्छी कविता प्रस्तुत की है आपने। गहन शब्दों और सार्थक उपमाओं के प्रयोग से कविता और निखर पड़ी है।
सादर बधाई आदरेया।
Comment by Abid ali mansoori on June 4, 2013 at 12:07pm
सुन्दर रचना,बधाई स्वीकार करेँ!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 4, 2013 at 10:23am
आदरणीया...कुन्ती जी.. सुंदर पंक्तिया हारदिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service