For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरस्वती वंदना- गीत //डॉ प्राची

////

हंसवाहिनी  वाग्देवी  शारदे  उद्धार  कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर  

स्वप्न की साकारता संस्पर्श कर लें उंगलियाँ
ज्ञान की अमृत प्रभा द्रुमदल की खोले पँखुड़ियाँ
नवल सार्थक कल्पना में हौंसलों की धार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

लेखनी हो सत्य शाश्वत उद्-गठित हो व्याकरण
ताल सुर लय भाव प्रांजल रस पगा हो अलंकरण
छान्दसिक या मुक्त हो उद्गार का शुभ-सार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

तीव्र-कम्पन ही सृजन है औ' प्रलय संहार है
उद्भव तरंगित भाव-ध्वनि संचयन संस्कार है
अमृता माँ वीणापाणि वाणी में सुरधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

परिष्कृत अभिरुचि प्रदात्री ज्ञानचक्षु प्रकाशिनी
वेद ज्ञान प्रदायिनी अज्ञान तिमिर विनाशिनी
प्रगति बौद्धिक हो सुफल, आध्यात्म को आधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

सौम्यरूपा दे कृपा कर, सद्गुणों की ग्राह्यता
कर सकें मंगल सृजन, दे ज्ञान की सद्पात्रता
ब्राह्मी निज गात्र को सद्बुद्धि दे, शृंगार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

*********************************

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 4161

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 31, 2013 at 3:47pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी 

सरस्वती वन्दना आपको पसंद आई..आपके सकारात्मक उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हृदय से आभारी हूँ 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 31, 2013 at 3:46pm

आदरणीय अरुण जी 

सरस्वती वंदना पर आपकी विशिष्ट सराहना पा कर सुकून पहुँचा... बहुत बहुत धन्यवाद.

Comment by Sarita Bhatia on May 31, 2013 at 8:49am

आदरणीय प्राची जी ,बहुत बढ़िया सरस्वती वंदना के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 31, 2013 at 12:50am

इस उत्कृष्ट रचना के लिए तो पहले बधाई स्वीकारें.  माँ शारदा सदा सहाय्य हों.

 

लेकिन एक बात इस रचना के प्रारूप को लेकर मुखर रूप से कहना चाहूँगा.  ईष्ट से सात्विक एवं सकारात्मक निवेदन सदा से होता रहा है. चाहना पीढियो की मनोदशा पर और सामर्थ्य पर भी निर्भर करती है. समाज की दशा भी व्यक्तित्व प्रस्तुतिकरण को साधती है. इस परिप्रेक्ष्य में माँ दे  की जगह माँ कर  से आत्मीयता के साथ-साथ याचक के स्वयं के सामर्थ्य के प्रति आश्वस्त होने का भाव भी संप्रेषित होता है. ऐसी याचना में निरीहता नहीं झलकती बल्कि माँ के प्रति अदम्य विश्वास से जन्मी आश्वस्ति के साथ-साथ सामर्थ्य की ऊर्जस्विता बोलती है जो याचक को नम किन्तु सकर्मक की तरह प्रस्तुत करती है.

 

अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान को विस्तार दो .. इस आधार पंक्ति में आपने इसी दशा को जीया है. इसे बनाये रखना था.

 

विश्वास है, मैं स्पष्ट कर पाया.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 30, 2013 at 9:07pm

बिन समाये लेखनी में ,यह सृजन सम्भव नहीं

शारदे माँ  की कृपा है , सिर्फ  यह  अनुभव नहीं

अद्वितीय आरती के लिये बधाई..............


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2013 at 4:16pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

सरस्वती वंदना के भाव शिल्प और कथ्य पर आपका अनुमोदन बहुत उत्साहवर्धक है..इस हेतु हृदय से आभारी हूँ. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2013 at 4:14pm

आदरणीय विजय जी 

रचना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 30, 2013 at 4:05pm

आदरणीया राजेश जी 

आपके द्वारा वन्दना पर सराहना पा कर मन को बहुत संतोष हुआ...आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से बहुत सारा आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2013 at 3:37pm

प्रिय प्राची माँ शारदे की इस सुन्दर अद्वित्य स्तुति से मन झूम उठा माँ सरस्वती की अनुकम्पा से आपकी कलम हमेशा सम्रद्ध होती रहे यही मंगल कामना करती हूँ बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर| 

Comment by vijay nikore on May 29, 2013 at 6:31pm

आदरणीया प्राची जी:

 

ॐ..   ॐ..    ॐ..

 

इस वंदना में आपने माँ सरस्वती देवी के इतने सारे पहलू प्रस्तुत किए हैं ..

कि जैसे हर किसी के मन की इच्छा माँ के सामने रख दी हो, और पढ़ते हुए

अभिलाषी को तुष्टि प्रदान होती है।

 

आपकी सभी मनोकामना पूरी हों, यह मनोकामना है।

 

विजय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service