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ये प्रेम मिलन का गीत नहीं,
विरह का विवशता-गान सही।
आज तुम मेरे मन के मीत नहीं,
तो प्राणों से बिछुड़ी जान सही।
ये नयन तुम्हारी छवि के दर्पण,
तुम नहीं तो अश्रु का स्थान सही।
ये मन तुम्हारी स्मृतियों का आँगन,
तुम नहीं तो पीड़ा का श्मशान सही।
चाहा था तुमसे मैंने केवल गहन प्रेम,
यदि नही तो उपेक्षा और अपमान सही।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक और अप्रकाशित]

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Comment

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Comment by Savitri Rathore on April 23, 2013 at 11:43am

अशोक जी,प्राची जी और गणेश जी,आप सबको मेरा नमस्कार!
आप सभी ने मेरी रचना को पढ़कर सराहा और अपनी अमूल्य राय व्यक्त की,जिसके लिए मैं हृदय से आप सबकी आभारी हूँ तथा अपनी काव्य रचना में गेयता के गुण को लेने एवं मात्रा गणना द्वारा लेखन का प्रयास अवश्य करूँगी।पुनः आभार।

Comment by Savitri Rathore on April 23, 2013 at 11:42am

आदरणीय शालिनी जी,विजय जी,सोनम जी,योगी जी,ब्रिजेश जी, सादर नमस्कार!
आप सभी ने मेरी रचना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर मेरा उत्साहवर्धन किया। -बहुत बहुत आभार।

Comment by बृजेश नीरज on April 17, 2013 at 3:51pm

इस सुन्दर प्रयास के लिए बधाई स्वीकारें।

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 11:45am

ये नयन तुम्हारी छवि के दर्पण,
तुम नहीं तो अश्रु का स्थान सही।
ये मन तुम्हारी स्मृतियों का आँगन,
तुम नहीं तो पीड़ा का श्मशान सही।
चाहा था तुमसे मैंने केवल गहन प्रेम,
यदि नही तो उपेक्षा और अपमान सही।

सुन्दर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 8:20pm

आदरणीया बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना बहुत बहुत बधाई स्वीकारें वरिष्ठ जनो द्वारा दी गयी सलाह पर काम करें फिर रचनाओं का निखार देखें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 7:56pm

प्रेममय हृदय की सर्वस्वीकार्यता पर सुन्दर अभिव्यक्ति....

धीरे धीरे मात्रा गणनानुसार भी रचना लेखन पर प्रयास कीजिये प्रिय सावित्री जी 

शुभेच्छाएँ 

Comment by Sonam Saini on April 16, 2013 at 9:49am

चाहा था तुमसे मैंने केवल गहन प्रेम,
यदि नही तो उपेक्षा और अपमान सही।......ये दो लाइन्स बहुत अछि लगी .....अछि रचना हेतु बधाई आदरनीय सावित्री जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:21am

आदरणीया सावित्री राठौर जी, भावों का सम्प्रेषण ठीक है किन्तु काव्य दृष्टि से गेयता का होना भी आवश्यक है, बधाई इस प्रस्तुति पर । 

Comment by vijay nikore on April 16, 2013 at 4:14am

आदरणीया सावित्री जी:

 

बहुत ही मार्मिक भावनाओं से सजाया है आपने इस रचना को।

बस, लिखते रहिए।

 

शुभकामनाएँ।

 

विजय निकोर

Comment by shalini kaushik on April 16, 2013 at 1:34am

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू  गयी   आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें

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