For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कबहुँ सुखी क्या आलसी, ज्ञानी कब निद्रालु ?
वैरागी लोभी नहीं, हिंसक नहीं दयालु!! १


शक्ति क्षीण करते सदा, यदि अवगुण हों पास
दुर्गुण रहित चरित्र में, होता शक्ति निवास!!२

गुरुता का व्यवहार ही, गुरु को करे महान
पूजनीय औ श्रेष्ठ जो, पायें खुद सम्मान!!३

नैतिकता सद्चरित का, जिसमें पूर्ण अभाव
दयाहीन उस मनुज के, रहें मलिन ही भाव!!४

अवगुण निज में देखिये, रख सद्गुण पहचान
त्रुटियों से जो सीख ले, जग में वही महान!!५

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 9:32pm

आदरणीया कुन्ती  जी  हार्दिक आभार ..

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 9:31pm

आदरणीय  राजेश झा  जी  हार्दिक आभार!!!!!!!!!!

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 9:30pm

आदरणीय  बड़े  भाई केवल जी  हार्दिक आभार .

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 9:30pm

आदरणीय  बड़े  भाई  अरुण जी हार्दिक आभार ....आपको तो पता ही  है सुधार की प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है ....रही बात गलतियों की तो आप और गुरुजन तो है ही!   सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 5, 2013 at 9:04pm

आदरणीय, राम शिरोमणि पाठक जी, ज्ञानवर्धक सुन्दर दोहे। 'अवगुण निज में देखिये, रख सद्गुण पहचान
त्रुटियों से जो सीख ले, जग में वही महान!!५' बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें।

Comment by coontee mukerji on April 5, 2013 at 7:07pm

राम जी नमस्कार ,बहुत सुंदर दोहे .खास कर अंतिम दोहे तो सब का निचोड़ है.धन्यवाद .

Comment by राजेश 'मृदु' on April 5, 2013 at 6:21pm

बढि़या, निद्रालु को यहां आलसी के अर्थ में लेना चाहिए और शायद यही लेखक का भी विचार है

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2013 at 5:40pm

दोहे के अच्छे भाव है, बधाई स्वीकारे श्री रामशिरोमणि जी, एक दोहे निम्न तरह कैसा रहेगा विद्वजन की राय ले ले -

गुरुता के व्यवहार से,  बन सके गुरु महान .

पूज्यनीय अरु श्रेष्ठ है,  पाए स्वतः सम्मान 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 5, 2013 at 4:14pm

भाई राम शिरोमणि पाठक जी आपने उत्तम दोहे रचे हैं, आपके दोहे पढ़कर मैं दंग हो गया, इस मंच का सही सदुपयोग कर रहे हैं आप जमे रहिये कठिनाई का मार्ग समाप्ति की ओर है.

ज्ञानी कब निद्रालु ? भाई इस बारे में मेरे विचार भिन्न है निद्रा तो सभी को आती है और सभी को प्रिय भी है किसी को ज्यादा किसी को कम. इस पर अधिक गुरुजन ही कहेंगे. बहरहाल मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें प्रयासरत रहें सफलता अवश्य मिलेगी. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service