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चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा ....

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया 
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो हमसे हाल-ए-दिल वो पूछ बैठा
अपने सब समझते हैं ये भी झूठ निकला 

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Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:14pm

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला 

एक एक पंक्ति लाजवाब , सच सी लगती हुई ! बहुत सुन्दर सोनम जी

Comment by ram shiromani pathak on March 13, 2013 at 1:21pm

मार्मिक भावों से सजी इस कविता के लिए
आपको हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on March 13, 2013 at 1:04pm

 

आदरणीय सोनम जी:

 

आपकी इस रचना में सच्चाई है, सरलता है .... 

मार्मिक भावों से सजी इस कविता के लिए

आपको बधाई।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 13, 2013 at 12:47pm

किसी और से प्रीत की आस लगाना .... उस आस का टूट जाना ..... और फिर दिल को तसल्ली देना ...चलो अच्छा हुआ .
इन भावों को सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है प्रिय सोनम जी
हार्दिक शुभकामनाएं

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