खबर पढ़ी दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार पीडिता को मरणोपरांत "स्त्री -शक्ति सम्मान " से सम्मानित किया गया .मंत्रालय की मुहर लग गई। "उसे बहादुर बालिका" की उपाधि से सम्मानित किया गया।
मुझे जहाँ तक ज्ञात है सम्मान किसी उपलब्धि पर दिया जाता है। इस केस में क्या उपलब्धि रही समझ नहीं आया। क्या उस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत हो गई कि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोहराई न जा सके? नहीं। फिर उसका गैंगरेप हुआ क्या यह उपलब्धि रही।? या तमाम सरकारी चिकित्सकीय सुविधाओं को मुहैया कराने के बाद भी उसे बचाया न जा सका . उसे शहीद होना पड़ा ? कौन से आदर्श और प्रतिमान गढ़ गई ? क्या किसी आदर्श की प्रतिष्ठापना के लिए लड़ते शहीद हो गई? ऐसा क्या हुआ ? माना की उस समय पूरा देश बस अपराधियों को सजा दिलवाने और महिला सुरक्षा की चर्चा में मशगूल हो गया। पर हुआ क्या? ऐसी घटनाएँ आम हो गईं। गैंगरेप जैसे शब्दों से बच्चा बच्चा परिचित हो गया .फलस्वरूप जानने की और उत्सुकता बढ़ गई। माता पिता परिजनों को सांत्वना एवं मदद करना ठीक था यह नैतिक कर्तव्य समझ में आता है।
अपने ज्ञानवर्धन के लिए मै सम्म्मानित महिला वर्ग से यह जानना चाहूंगी की कितनी महिलाएं इस तरह का सम्मान एवं उपाधि प्राप्त करना चाहेंगी ? इसके लिए वो क्या -क्या कदम उठाएंगी ? और कितना गौरवान्वित महसूस करेंगी ?
मैंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है किसी भावना के वशीभूत हो कर नहीं। यदि किसी को कुछ लगे तो पहले ही क्षमा मांग ले रही हूँ।
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बहुत गंभीर प्रश्न
अपने ज्ञानवर्धन के लिए मै सम्म्मानित महिला वर्ग से यह जानना चाहूंगी की कितनी महिलाएं इस तरह का सम्मान एवं उपाधि प्राप्त करना चाहेंगी ? इसके लिए वो क्या -क्या कदम उठाएंगी ? और कितना गौरवान्वित महसूस करेंगी ?बहुत सटीक सवाल उठाया है आपने !
बहुत गंभीर प्रश्न उठाया है आपने मंजरी पाण्डेय जी, सम्मान हेतु यह कोई उपलब्धि नहीं, सम्मान ही करना है तो
शिकार हुई पीडिता के नाम सुधारात्मक काम चालू किया जावे, योगना बने जावे और उसे क्रियान्वित किया जावे |
आपकी सोच और कल्पना कर उठाये प्रश्न के लिए आपको नमन करते हुए हार्दिक बधाई
बहुत ही घृणित मानसिकता का परिचायक है यह सम्मान!
आपने सच कहा मंजरी जी. असहाय महिला के साथ हुए हादसे को, उसकी 'उपलब्धि' से जोड़ा नहीं जाना चाहिए. विवशता में जो कुछ उसको झेलना पडा- उसे बहादुरी से जोड़ना बिलकुल ठीक नहीं है.
आदरणीया मंजरी जी:
मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ .सादर
तन्त्र अपने कुलटे चरित्र की असहजता को कम करने की चेष्टा भर कर रहा है और राजनितिक परिप्रेक्ष्य में जहाँ जो उघरा है , ढँकने का असफल प्रयास कर रहा है . और क्या ? इस प्रकरण में सबकुछ तो घृणित ही था और यह कदम उसके अति में परिणति को ही इंगित करता है . मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ .
नहीं आदरणीया मंजरी जी.. आपके प्रश्न अत्यंत प्रखर हैं. वास्तव में यही मुखरता नारी समाज के लिए सम्मान के पल न्यौतता है.
आपकी वैचारिक समझ को सादर नमस्कार.. .
महिला दिवस नजदीक था सरकारों ने महिला को सम्मान दिलाने की भरसक कोशिश कर डाली ...
कहीं ऐसा न हो कि सम्मान में कुछ कमी रह जाए
आदरणीया मंजरी जी:
आपने तो हर एक बात सही कही है, आप को क्षमा माँगने का सवाल ही
कहाँ उठता है! यह सम्मान नहीं है... यह तो मात्र दिखावा है, शायद इससे उनको
कुछ वोट और मिल जाएँ। सम्मान तो तब होता कि यदि बलात्कार की शिकार पीडिता
के नाम वास्तव में समाज में सुधार लाए जाएँ, सुरक्षा बढ़ाई जाए, नारी को हर किसी की
आँखों में ऊँचा उठाया जाए... हर नारी को उसका उचित स्थान दिया जाए।
सादर और सस्नेह,
आपके लिए गर्व के साथ...
विजय निकोर
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