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"महिला दिवस पर कुछ दोहे "

बॆटॊं जैसा ही मिले, इनको भी अधिकार ।
विनती है हर मात सॆ, बेटी को मत मार ॥
**************************
माता,बहना रूप में, मिलता इनका प्यार ।
बेटी मूरत प्रेम की , जानत है संसार ॥
**************************
इनको मिले समाज में, उतना ही सम्मान ।
कुल का दीपक पूत है , बेटी घर की शान ॥
***************************
बदलो अपनी सोच को,दो नवीन आकार ।
नारी कॆ कारन रहॆ , हरा-भरा परिवार ॥

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Vinita Shukla on March 10, 2013 at 1:12pm

बहुत सुन्दर और सटीक बातें कह गये ये दोहे. बधाई.

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on March 10, 2013 at 12:00pm

सुंदर दोहे। आज लोग कविता\शायरी लिख रहे हैं. ऐसे में दोहे बहुत अच्छे लगे।

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 9, 2013 at 10:44pm

सुन्दर दोहे,,,,,,,,,,, वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या कहने हैं,,,,,,बहुत बहुत बधाई आपको,,,,,,,,,,,,,

Comment by asha pandey ojha on March 9, 2013 at 9:18pm

bahut hi sshkt dohe .. gaagr me saagr samete huve badhai


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 9, 2013 at 1:39am

कथ्य में उन्नत भावों से सजे दोहे शिल्पगत कमियों के कारण जुबान पर चढ नहीं पाते.. .  मात्राओं में गेयता को बांधिये.

शुभ-शुभ

Comment by mrs manjari pandey on March 8, 2013 at 10:13pm

पुत्रों जैसा ही मिले, इनको भी अधिकार/
विनम्र विनती मात है , बेटी को मत मार//
******************************************                    

आदरणीय शिरोमणि जी सुंदर दोहे

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 8, 2013 at 7:23pm

सुन्दर दोहे भाई पाठक जी.....

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2013 at 5:15pm

आदरणीय दीपक जी 

सादर 

सुन्दर दोहे 

मन मोहे 

बधाई. 

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