For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमसे मिलने का असर है मुझ पर --- मीना पाठक

कभी चाह थी बहुत दिल मे 
कि छू लूँ मैं भी बढ़ा के हाथ 
मिट्टी,हवा,पानी इन सब को 
पीछे छोड़ शून्य को 
जिंदगी को चाह थी भरपूर जीने की
थी ललक, कुछ भी कर गुजरने की 
जिंदगी एक किताब खूबसूरत थी 
जिसे पढ़ने की प्यार से तमन्ना थी 

फिर घेरा ऐसा बादलों ने निराशा के 
खुद से बातें करती,हंसती,रोती,बावली 
सी, ना चाह रही जीने की ना ललक 
कुछ करने की ...........................
बिखरी हुई सी ज़िंदगी,पन्ना-दर-पन्ना 
पलती गई यूँ ही, ज़िंदगी रेत की तरह 
हाथ से फिसलती गई

जाग उठी है अब फिर से वही पुरानी 
चाह जीने की,ललक कुछ करने की 
जिंदगी की खूबसूरत किताब को 
तमन्ना प्यार से पढ़ने की 
मिट्टी,हवा,पानी सब को पीछे छोड़ हाथ 
बढ़ा कर शून्य को छूने की , शायद ये 
तुमसे मिलने का असर है मुझ पर ||


(मौलिक /अप्रकाशित)

*चित्र - साभार गूगल 

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Trivedi on March 3, 2013 at 3:19pm

प्रेम का गहन भाव... सुंदर

Comment by Meena Pathak on March 2, 2013 at 12:13pm

रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार आ.लक्ष्मण प्रसाद  जी ..

Comment by Meena Pathak on March 2, 2013 at 12:11pm

सादर आभार संदीप जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2013 at 11:29am

सुन्दर भाव प्रधान रचना, वाकई जिन्दगी खुबसूरत खुली किताब की तरह होती है, जिसे पढ़कर यथार्थ को ढूंढते हुए जिन्दगी को और बेहतर बनाया जा सकता है | हार्दिक बधाई आदरणीया मीना पाठक जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 1, 2013 at 10:43pm
बहुत सुन्दर भाव प्रधान रचना बधाई हो आदरणीय
Comment by Meena Pathak on March 1, 2013 at 6:36pm

आ.श्याम नारायन जी सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on March 1, 2013 at 6:34pm

सादर आभार बृजेश जी 

Comment by बृजेश नीरज on March 1, 2013 at 6:19pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति! बधाई स्वीकार करें आदरणीया!

Comment by Shyam Narain Verma on March 1, 2013 at 5:48pm

आदरणीय

बहुत खूब ............................
शुभकामनायें-

Comment by Meena Pathak on March 1, 2013 at 5:34pm

सादर आभार आ. रविकर जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service