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पापा की लाडली .... मीना पाठक

मै अपने पापा 

की  लाडली 
उनकी ऊँगली 
पकड़   कर 
मचलती इठलाती 
थोड़ी ही दूर चली थी 
कि 
काल चक्र ने 
एक झटके से 
उनके हाथ से 
मेरी ऊँगली छुड़ा दी
 
अब मैं अकेली 
इस निर्जन 
बियावान जंगल 
में 

इधर - उधर 

भटकती   हूँ

एक सुरक्षा भरी 
छाँव  के  लिए 
जहाँ  बैठ  कर
मैं अपने आप को 
सुरक्षित महसूस 
करूँ 

जैसे अपने पापा 
की ऊँगली पकड़ कर 
अपने आप को 
सुरक्षित महसूस 
करती थी 

मैं 

अपने पापा की 

लाडली ।
  • मीना 

(चित्र-गूगल)

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 953

Comment

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Comment by Pankaj Trivedi on March 3, 2013 at 3:25pm

पिता के लिए उसकी बेटी ही सर्वस्व होती है ..मन की गहराई में कुछ स्मृति अंकित होती है वो वात्सल्य की भी होती है... जिसे हम कभी नहीं भूल पातें और वोही हमारी ताकत बनती है

Comment by Meena Pathak on February 24, 2013 at 9:09pm

वंदना जी हृदय से आभार स्वीकार करें 

Comment by Meena Pathak on February 24, 2013 at 9:08pm

सही कहा आप ने आदरणीय अरुण श्रीवास्तवा जी ..... त्रुटियों की तरफ इंगित करने के लिए हार्दिक आभार 

Comment by Meena Pathak on February 24, 2013 at 9:05pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी रचना सराहने के लिए 

Comment by Vindu Babu on February 22, 2013 at 2:01pm
आज के परिवेश में तो ऐसी छांव तो अत्यन्त दुर्लभ है.
कितना दुखद है कालचक्र के साथ उंगली का छूट जाना पर इस साश्वत तथ्य को स्वीकारना ही पड़ता है.
इस पवित्र प्रेम को शत्-शत् नमन!
मार्मिक रचना के लिए बधाई आदरेया.
Comment by Arun Sri on February 22, 2013 at 1:04pm

भावनाओं की लड़ियाँ देखने में पढ़ने में बहुत ही अच्छी लगती हैं ! मुझे भी लगी ! लेकिन रचना कर्म के लिहाज से कुछ और समय कुछ और चिंतन मांग रही है कविता ! ऐसा मेरा मत है ! कृपया अन्यथा न लें ! सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 22, 2013 at 12:52pm

कुछ पवित्र स्मृतियाँ मनःपटल पर अंकित हो स्थावर जाती हैं. हम आजीवन अपने उन स्मृतियों को जीते रहते हैं, वही नन्ही बिटिया बने, वही नन्हें बिटवा बने. निर्दोष भावों से भरी एक पवित्र रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीया मीनाजी.

Comment by Meena Pathak on February 22, 2013 at 12:31pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी क्या कहूँ , कभी कभी शब्द नही मिलते अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए .. मेरा आभार स्वीकार करें 

Comment by Meena Pathak on February 22, 2013 at 12:25pm

सराहने के लिए सादर आभार संदीप पटेल जी 

Comment by Meena Pathak on February 22, 2013 at 12:23pm

प्रिय आरती शर्मा जी .. मेरा दिली आभार स्वीकारें 

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