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"ग़ज़ल "

आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।

खंडहर आज तक सलामत है 
नींव कहती है घर रहा होगा 

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।

  • संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 9:45pm

आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम
आपका बहुत बहुत आभार सर जी इस हौसलाफजाई के लिए

आपकी वाह वाही ने हमें लूट लिया सर जी ...............लगा मेहनत सफल हुई है

ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 9:44pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम

इस जर्रानवाजी के लिए आपका आभारी हूँ स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये

इस मंच की बदौलत आज मुझे थोडा बहुत आ रहा है .................

आदरणीय संदीप जी के बारे में अब
ये तो हमें नहीं पता बादशाह हैं या नहीं

किन्तु कुछ सिखा नहीं पा रहे हैं ये जरुर देख पा रहा हूँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 9:39pm

\\आदरीय संदीप तोमरजी, आप अपनी बातों से कोई लकीर न छोड़, तथ्यपरक चर्चा करें\\

जी गुरुदेव हम भी यही चाहते हैं ताकि हम भी और सीख सकें

आपका बहुत बहुत आभार गुरुवर स्नेह बनाये रखिये

Comment by Admin on February 18, 2013 at 9:03pm

//ye gajal hai hi nahi fir admin ne ise kaise post karaya? isme kafiya radeef kuch bhi sahi nahi hai//

आदरणीय संदीप तोमर जी, ओ बी ओ पर सभी सदस्य एक दूसरे से सीखते हैं, आपकी बातों में गूढ़ता नजर आती हैं, आप बहुत ही जानकार लगते हैं, कृपया अपनी बातों को विस्तार दें, हो सकता है एडमिन से भी कोई भूल हुई हो, कृपया यथा शीघ्र !!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2013 at 8:58pm

प्रिय संदीप जी, इस ग़ज़ल में जान है, बहुत ही अच्छी ग़ज़ल कही है, एक शेर जो सबसे ज्यादा पसंद आया ....
अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।
वाह वाह, बहुत हीखुब सूरत शेर , बधाई इस प्रस्तुति पर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 18, 2013 at 8:55pm

प्रिय संदीप ग़ज़ल का अंदाज़ निराला है हर शेर देर तक ज़हन में ठहरता है
बाग़ की झुरमुटों में हलचल है
नव युगल प्यार कर रहा होगा
वह क्या चित्र खींचा है बिलकुल वेलन ताइन दिवस का लगता है
बढ़िया ग़ज़ल वैसे सच कहूँ तो आपकी उच्च स्तरीय गजलों के हम आदि हो चुके हैं
नीचे एक दूसरे संदीप जी का कमेंट समझ नही आया या तो ये ग़ज़ल विधा से नावकिफ हैं या कोई ग़ज़ल के बादशाह क्या कहना चाहते हैं??


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 8:12pm

आदरीय संदीप तोमरजी, आप अपनी बातों से कोई लकीर न छोड़, तथ्यपरक चर्चा करें. आपने isme kafiya radeef kuch bhi sahi nahi hai से क्या कहना चाहा है यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है.

आगे आपकी गंभीर विवेचना के बाद. 

सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 8:01pm

आदरणीय संदीप जी

कृपया अपनी बात खुल कर रखें ............हम लोग सीख रहे हैं ...............सौदाहरण बात समझाने का कष्ट करें ताकि मेरे अतिरिक्त यहाँ और भी लोग लाभान्वित हों

आपका बहुत बहुत आभार

स्नेह बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 8:00pm

भाई राम सिरोमणि जी ...........ग़ज़ल को सराहने हेतु आभार आपका स्नेह बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 7:59pm

आदरणीय अरुण सर जी , आदरणीया मंजरी जी , आदरणीया रेखा जी, परम आदरणीय गुरुदेव आप सभी को सादर प्रणाम

इस हौसलाफजाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया , ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

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