For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी इतने गम क्यूँ देती है ?

ज़िन्दगी इतने गम क्यूँ देती है

गम के संग आंसू भी देती है

आंसुओं संग दर्द भी देती है

दर्द के संग तनहाइयाँ भी देती है

तनहाइयों संग फिर रुस्वाइयाँ भी देती है ……

फिर भी हर किसी को जीने की ही चाह होगी

हर पल हर किसी को जीवन की ही प्यास होगी

हसीन सपनो और खवाबो की ही बारात होगी

नित नयी उमंगों और आशाओं की बरसात होगी

लेकिन होगा वही जो ज़िन्दगी की बिसात होगी ……….

फिर मौत आएगी हमें गले लगाएगी

हर दुःख से साथ छुटाएगी

जीवन के बंधनों से मुक्त कराएगी

जीवन का अंतिम सफ़र कराएगी

फिर भी हमारी दुश्मन कहलाएगी ………

  • प्रवीन मलिक

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Parveen Malik on February 20, 2013 at 8:49am

धन्यवाद अभिनव अरुण जी रचना को समय देने के लिए ...

Comment by Abhinav Arun on February 18, 2013 at 6:33pm
रचना अनुभूतियों के सागर में चमकते मोती सद्रृश है इन गहरे भावों की पारखी प्रवीना जी को बधाई
Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 12:15pm

आदरणीय संजीव वर्मा जी ... अगर जिंदगी सिर्फ सुखों और खुशियों का गीत हो तो उसमे नीरसता आ जाएगी .. 

जीवन है तो मौत भी निश्चित है 

आज सुख है तो कल दुःख भी निश्चित है ..

सादर धन्यवाद...

Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 12:12pm

आदरणीय अशोक जी नमस्कार,

जैसा की आप जानते हैं जिस पल जो भाव दिल में आये उनको रचना में उतार दिया ... व्यक्तिगत टूर से रचना का कोई लेना देना नहीं 

सादर धन्यवाद....

Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 12:11pm

तुषार जी रचना को समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद ...

Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 12:09pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर ,

काव्यात्मक अभिव्यक्ति की दौड़ में कोशिश जारी  है बस आप लोग आशीर्वाद देते रहे .. धन्यवाद...

Comment by Parveen Malik on February 18, 2013 at 12:07pm

प्राची जी नमस्कार ,

जिंदगी में बहुत से ऐसे प्रशन हैं जिनका कभी कोई उत्तर नहीं मिलता .......

जिंदगी खुशियाँ भी देती है ..

जिंदगी गम भी देती है ...

बस ऐसे ही कुछ भाव दिल में आये तो रचना में उतार दिए .. धन्यवाद...

Comment by sanjiv verma 'salil' on February 18, 2013 at 10:14am

है प्रवीण वह जो जिए दुःख में भी हँस मीत.
करे दर्द से मौन हो जो आजीवन प्रीत..
जन्म-मौत का संग है श्वास-आस सम जान-
धूप-छाँव के गीत गा जीवन हो रस-खान..

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 18, 2013 at 8:53am

आदरणीया प्रवीण जी हताशा के चरम पर ले जाती सुन्दर रचना मगर जीवन में ऐसी निराशा का होना कमजोरी का प्रतीक है.सादर.

Comment by Tushar Raj Rastogi on February 17, 2013 at 8:49pm

जिंदगी को बयां करती बहुत मार्मिक रचना | बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
9 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service