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लघुकथा : उत्प्रेरण / गणेश जी बागी

"माँ टिफिन बैग में रख दी हो ना",  पूछते हुए राहुल बैग लेकर स्कूल निकल गया। कालोनी के आठ-दस लड़के एक ही स्कूल में पढ़ते थे। साथ ही स्कूल जाते थे।
इधर राहुल में एक बदलाव मैंने नोट किया था । टिफिन ले जाने में आनाकानी करने वाला राहुल जो मुश्किल से दो पराठे लेकर जाता, अब तीन पराठे लेकर जाने लगा था । दोपहर में पडोसी मिसेज गुप्ता मिल गई थी बताने लगी कि राहुल और उसका ग्रुप आज कल समाज सेवा में लगा है । 
मैं पूछ बैठी, "कैसी समाज सेवा ?" 
मिसेज गुप्ता ने जो कुछ कहा उससे मैं थोड़ी आश्चर्य चकित हुई। राहुल ने यह कुछ मझे नहीं बताया था । 

दूसरे दिन राहुल के स्कूल जाने के तुरंत बाद मैं भी उसके पीछे चुपके से निकल गई। राहुल और उसका ग्रुप रास्ते में पड़ने वाली बस्ती के नजदीक टिन शेड में एक समाज सेवी संस्था द्वारा गरीब बच्चो के लिये चलाये जा रहे स्कूल के पास रुका था। ग्रुप के सभी लड़के अपने-अपने टिफिन से कुछ खाना निकाल कर एक प्लास्टिक के थैले में रख उस स्कूल में दे दिया। मैं वापस घर लौट आयी। 
अगले दिन राहुल की टिफिन में चार पराठे थे।
***

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Comment by Dr. Swaran J. Omcawr on March 15, 2013 at 5:34pm

प्रेरक रचना धन्यवाद 

Comment by बृजेश नीरज on March 1, 2013 at 11:34pm

काश राहुल की तरह इस देश का हर व्यक्ति सोचे।
आपकी यह कथा पढ़ने के बाद हर व्यक्ति के मन में कुछ हलचल तो होगी।

मेरी बधाई स्वीकारें आदरणीय!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 6:05pm

आभार अजय यादव जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 6:04pm

सराहना हेतु कोटिश : आभार आदरणीया प्रवीना मल्लिक जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 6:04pm

आदरणीय रकताले साहब, लघुकथा आपको अच्छी लगी , प्रयास मेरा सफल हुआ, आभार ।

Comment by ajay yadav on February 19, 2013 at 11:27pm

आदरणीय सर जी,

सुंदर लाघुकथाके लिए बधाई |दयालुता का हर कार्य एक बेहतर कल के लिए योगदान देता हैं |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 19, 2013 at 10:50pm

आभार तुषार राज रस्तोगी जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 19, 2013 at 10:47pm

सराहना हेतु आभार आदरणीया रेखा जोशी जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 19, 2013 at 10:46pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, लघुकथा आपको अच्छी लगी इसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ , स्नेह बनाये रखें |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 19, 2013 at 10:43pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपको लघु कथा पसंद आयी, मेरे लिए उत्साह का कारक है, बहुत बहुत आभार ।  

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