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प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |

निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||

पश्चिम का तो चढ़ रहा ,प्रेम दिवस उन्माद |

अपने पर्वों के लिए ,पाल रहे अवसाद||

युवक युवतियों के लिए ,दिन है बहुत विशेष |

खुली मुहब्बत का मिले ,हर दिल को संदेश||

पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |

प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||

लगा डुबकियाँ कुंभ में ,तन का मैल उतार |
कहाँ उतारे सोच ले ,मन का शेष विकार||

**********************************************

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 15, 2013 at 8:27am

आदरणीय विजय निकोर जी आपको दोहे पसंद आए मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका 

Comment by vijay nikore on February 15, 2013 at 2:00am

 

आदरणीया राजेश कुमारी जी:

 

मन प्रसन्न हो गया यह दोहे पढ़ कर।

आज के संबंधों का आपने अच्छा मूल्यांकन किया है।

 

बधाई।

 

विजय निकोर

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 4:24pm

बहुत बहुत शुक्रिया वेदिका जी 

Comment by वेदिका on February 14, 2013 at 3:32pm

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

सर्वथा सहत हूँ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 2:57pm

प्रिय प्राची जी यह बात हमेशा अखरती है की  प्रेम दिवस एक ही दिन क्यूँ?? प्रेम को भी क्या दिनों में घंटों में वक्त में बाँध सकता है कोई पश्चिम के किसी संत के नाम से ये शुरू हो गया तो क्या हमारे लोगों ने अन्धानुसरण में अपने त्योहारों को साइड कर दिया आज पूरे मार्केट में  वेलेनताइन  की थीम देखने को मिली बसंत पंचमी का नामों निशान नही  बस इसी भावना के वशीभूत होकर मन ने इन दोहों कि रचना की हार्दिक आभार आपको पसंद आए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 14, 2013 at 2:45pm

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीया राजेश जी, 

प्यार के इज़हार के लिए सिर्फ एक दिन.... इसका औचित्य समझ नहीं आता 

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?.........बिलकुल सही प्रश्न किया है आपने, प्रीत की फेस वेल्यु को जीने वालों से.

पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |

प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||..........संवेदना को बहुत सुन्दर शब्द मिले हैं.

वेलेंटाइन डे पर इस संयत सार्थक दोहावली के लिए बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:57pm

प्रिय  संदीप आपको ये दोहे रुचिकर लगे हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:56pm

आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:56pm

आदरणीय नादिर जी दोहे आपको पसंद आए हार्दिक आभार आपका |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 14, 2013 at 1:54pm

जी, आदरणीया, यह एक सटीक संप्रेषण बन रहा है.

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