For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम प्रणय का आज क्यूँ ,हो पाता इज़हार |

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

सच्चे मन से कीजिये ,सच्चे दिल का प्यार |

निश्छल दिल ही दीजिये,जब करना इज़हार||

पश्चिम का तो चढ़ रहा ,प्रेम दिवस उन्माद |

अपने पर्वों के लिए ,पाल रहे अवसाद||

युवक युवतियों के लिए ,दिन है बहुत विशेष |

खुली मुहब्बत का मिले ,हर दिल को संदेश||

पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |

प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||

लगा डुबकियाँ कुंभ में ,तन का मैल उतार |
कहाँ उतारे सोच ले ,मन का शेष विकार||

**********************************************

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 15, 2013 at 8:27am

आदरणीय विजय निकोर जी आपको दोहे पसंद आए मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका 

Comment by vijay nikore on February 15, 2013 at 2:00am

 

आदरणीया राजेश कुमारी जी:

 

मन प्रसन्न हो गया यह दोहे पढ़ कर।

आज के संबंधों का आपने अच्छा मूल्यांकन किया है।

 

बधाई।

 

विजय निकोर

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 4:24pm

बहुत बहुत शुक्रिया वेदिका जी 

Comment by वेदिका on February 14, 2013 at 3:32pm

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?

सर्वथा सहत हूँ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 2:57pm

प्रिय प्राची जी यह बात हमेशा अखरती है की  प्रेम दिवस एक ही दिन क्यूँ?? प्रेम को भी क्या दिनों में घंटों में वक्त में बाँध सकता है कोई पश्चिम के किसी संत के नाम से ये शुरू हो गया तो क्या हमारे लोगों ने अन्धानुसरण में अपने त्योहारों को साइड कर दिया आज पूरे मार्केट में  वेलेनताइन  की थीम देखने को मिली बसंत पंचमी का नामों निशान नही  बस इसी भावना के वशीभूत होकर मन ने इन दोहों कि रचना की हार्दिक आभार आपको पसंद आए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 14, 2013 at 2:45pm

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीया राजेश जी, 

प्यार के इज़हार के लिए सिर्फ एक दिन.... इसका औचित्य समझ नहीं आता 

प्रीत दिवस के बाद क्या ,खो जाता है प्यार ?.........बिलकुल सही प्रश्न किया है आपने, प्रीत की फेस वेल्यु को जीने वालों से.

पश्चिम के त्यौहार का ,डंका बजता आज |

प्रेम दिवस के सामने ,गुमसुम है ऋतुराज||..........संवेदना को बहुत सुन्दर शब्द मिले हैं.

वेलेंटाइन डे पर इस संयत सार्थक दोहावली के लिए बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:57pm

प्रिय  संदीप आपको ये दोहे रुचिकर लगे हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:56pm

आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2013 at 1:56pm

आदरणीय नादिर जी दोहे आपको पसंद आए हार्दिक आभार आपका |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 14, 2013 at 1:54pm

जी, आदरणीया, यह एक सटीक संप्रेषण बन रहा है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service