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पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
रसिक भ्रमर को भाय,मनोहर वदन सजीले
कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2013 at 12:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी आपको रचना पसंद आई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 13, 2013 at 12:14pm

सुन्दर रचना और ज्ञानवर्द्धक टिप्पणियाँ..

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:54pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:53pm

मंजरी पांडेय जी आपको कुण्डलिया पसंद आई हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 12, 2013 at 7:52pm

आदरणीय सलिल जी हार्दिक आभार आपका मनोग्य शब्द का संशय दूर् किया प्राची जी का भी आभार जिन्होंने इस त्रुटि को इंगित किया 

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 6:49pm

पीले पीले वेश में आया बसंत " ह्रदय में खुशबू घोल गया .

आदरणीया  को बधाई।

Comment by sanjiv verma 'salil' on February 12, 2013 at 6:29pm

राजेश जी!
अच्छी कुण्डली हेतु बधाई.
ज्ञान = २ + १ = ३
विज्ञान = २ + २ + १ = ५
आरोज्ञ = आरोग्य = २ +२ +१ = ५
मनोज्ञ = मनोग्य = १ + २ = १ = ४
(आधा ग =  'ग्' = पूर्वाक्षर के साथ उच्चारित होगा जो पहले से दीर्घ हो तो दीर्घ अर्थात २ गिना जाएगा, पूर्वाक्षर लघु हो तो 'ग्'  से मिलकर दीर्घ हो जाएगा)
अज्ञ = २ + १ = ३
विज्ञ = २ + १ = ३

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 12, 2013 at 5:01pm

सुन्दर कुण्डलियाँ, जिसके माध्यम से ऋतुराज बसंत के आगमन का अहसास कराया है, हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 12, 2013 at 3:42pm

विज्ञान की मात्रा ५ है 

(वि + आधा ज )=२   +     ञा = २    +    न +१      =   ५ 

विज्ञान में आधा ज का भार वि पर जा रहा है, जिससे इसे २ गिनते हैं 

परन्तु ज्ञान में    ज्ञा को २ ही गिनेंगे क्योंकि आधा ज का भार किसी और अक्षर पर नहीं पढ़ रहा है, इसलिए ज्ञान +३ होगा ..

शायद यह मैं स्पष्ट कर पाई.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 12, 2013 at 3:37pm

आदरणीया राजेश जी,

मुझे याद है कि एक बार आदरणीय सौरभ जी से  'ज्ञ' संयुक्ताक्षर पर मंच पर चर्चा हो चुकी है, 

तब हमें पता चला था कि ज्ञ = आधा ज + ञ होता है ... जो व्याकरण की मूलभूत पुस्तकों में भी दिया गया है.

मनोज्ञ की मात्रा भी ४ ही होगी, और मनोग्य की मात्रा भी ४ ही होगी.   

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