For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ हमें कुछ शर्म करना चाहिये....

हाँ हमें कुछ शर्म करना चाहिये

या हमें अब डूब मरना चाहिये

 

देश क्यों बदला नहीं कुछ आज तक

देश को क्यों और धरना चाहिये  

 

दर्द ही है जख्म की संवेदना 

क्यों भला इससे उभरना चाहिये

 

रों रही है माँ बहन औ बेटियां

जिन्दगी इनकी सवरना चाहिये


आ मिटा दें खौफ़ की परछाइयाँ

यार कुछ तो कर गुजरना चाहिये 
~अमितेष 

Views: 620

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमि तेष on January 3, 2013 at 2:47pm

शुक्रिया अनन्त जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 3, 2013 at 12:27pm

मित्र अमितेष सुन्दर जोशीली ग़ज़ल कही है, आपकी सोंच सच हो यही मैं भी चाहता हूँ. बधाई स्वीकारें

Comment by अमि तेष on January 2, 2013 at 10:59pm

शुक्रिया ............सीमा जी 

Comment by seema agrawal on January 2, 2013 at 9:40pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है अमि तेष जी 

आ मिटा दें खौफ़ की परछाइयाँ

यार कुछ तो कर गुजरना चाहिये...बिलकुल अब करने का समय ही है |

दर्द ही है जख्म की संवेदना 

क्यों भला इससे उभरना चाहिये...मेरे विचार से यहाँ उबरना (मुक्ति पाना,किसी स्थिति  से बाहर आना  ) शब्द होना चाहिए था ...क्यों की आपने इस शब्द से पहले इससे  शब्द का प्रयोग किया है इसलिए यह मेरा अनुमान है 

Comment by अमि तेष on January 2, 2013 at 6:01pm

shukriya Prachi jee........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 2, 2013 at 5:07pm

आ मिटा दें खौफ़ की परछाइयाँ

यार कुछ तो कर गुजरना चाहिये ...बहुत बढ़िया भाव 

उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by अमि तेष on January 2, 2013 at 4:55pm

shukariya Vijay jee ......

Comment by vijay nikore on January 2, 2013 at 4:24pm

भाव अच्छे लगे। बधाई।

विजय निकोर

Comment by अमि तेष on January 2, 2013 at 2:05pm

आदरणीय सौरभ जी ........शुक्रिया.......धरना का अर्थ यहाँ picketing (Picketing is a form of protest in which people  congregate outside a place of work or location where an event is taking place. Often, this is done in an attempt to dissuade others from going in, but it can also be done to draw public attention to a cause. Picketers normally endeavor to be non-violent.) से है .........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 2, 2013 at 9:59am

आ मिटा दें खौफ़ की परछाइयाँ
यार कुछ तो कर गुजरना चाहिये

वाह ! बहुत बढिया शेर हुआ है.  आपके ग़ज़ल प्रयास को बधाइयाँ.

देश क्यों बदला नहीं कुछ आज तक
देश को क्यों और धरना चाहिये ..

इस शेर के मिसरा-सानी का क्या अर्थ हुआ भाईजी ? धरना  शब्द का प्रयोग कुछ स्पष्ट नहीं हुआ.

बहरहाल, इस ग़ज़ल पर दाद कुबूल कीजिये.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service