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एक्सचेंज मेला

                                                          दीपावली में खरीददारी की मची हुई थी जंग

खरीददारी करने गए हम बीबी के संग

बदला पुराना टीबी नया टीबी ले आये

दिल में कई बिचार आये

काश बीबी एक्सचेंज का कोई ऑफर पायें

नई नबेली बीबी घर ले आयें

इसी उधेड़बुन में हम सो गए

सपनो में खो गए

देखा शुभ मुहूर्त में थी खरीददारी की बेला

लगा था बीबी एक्सचेंज मेला

हमने दिया ईश्वर को धन्यबाद

मिल गई थी मन मांगी मुराद

तुरंत एक्सचेंज की शर्तें जानी

कविता ले जाओ बदलकर कहानी

आप भी मेले में किस्मत आजमायें

जो आपको पसंद करें उसे घर ले जाएँ

मेले में उड़ रही थी रंगीन तितलियाँ

दिल पर गिरा रही थी शौख बिजलियाँ

बीबी को चाहने बाले मिल गये पचास

शुबह तक न हमको किसी ने डाली घास

नए के चक्कर में पुरानी भी गई

ये सोचकर हमारी चीख निकल गई

मैना की चाह में बुलबुल उड गई

इतने में हमारी नीद खुल  गई

पुरानी को पास पाकर मिला सुकून

नई बीबी का उतरा जूनून

नई बीबी का बिचार ख्याली

खटाऊ होती हे सात फेरेबाली

हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली

Dr.Ajay Khare

738/5Vijaynagar Jabalpur

Mobile 989326923000

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Comment

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Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 12:58pm

Sabhi budhjano ko hosla afjai heyu dhanyabaad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 12:42pm

खटाऊ होती हे सात फेरेबाली ???   खड़ाऊं भी होती है !! अच्छा हुआ समय रहते चेत गए ,खैर हास्य रस का अच्छा रसास्वादन किया ।

 

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 2:51am

सही समय पर आँख खुल गई
सर जी हेप्पी दीपावली टू यू

Comment by seema agrawal on December 15, 2012 at 12:46am

इस रचना के लिए बधाई की पात्र  मैं mrs डॉ अजय खरे जी को मानती हूँ जिनकी वजह से आप इतने सच्चे और ईमानदार सपने देख पाते हैं   :) :) :) :) 

बहुत बहुत  बधाई इस हास्य रचना के लिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 14, 2012 at 6:43pm

हाहाहा

सपनें नें आँखें खोल दीं. बधाई इस रचना पर आ. डॉ. अजय 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2012 at 6:15pm

आपका सपना सच नहीं हुआ इसलिए 

हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली

 

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 4:27pm

hehehehehe...too gud :)

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 2:55pm
दीपावली का एक्सचेंज मेला अब हुआ पुराना, 
बीबी बदलने के विचार को मन में न अब लाना
हास्य परोसने की सोच से लिखा यह फ़साना 
गर हाथ लग गया घरवाली के तो देख फसना ।
बेलन उसके हाथ में होता है जरा संभल भाई,
फिर भी हमसे तो ले लो हास्य के बदले बधाई   

 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 1:34pm

Sharma ji dhnyabad

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 1:02pm

हाहाहा हास्यमयी सुन्दर रचना अजय सर बधाई स्वीकारें , ऐसे सपने दुबारा न देखें कहीं भाभी जी को पता चल गया तो आपकी खैर नहीं .....

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