For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक्सचेंज मेला

                                                          दीपावली में खरीददारी की मची हुई थी जंग

खरीददारी करने गए हम बीबी के संग

बदला पुराना टीबी नया टीबी ले आये

दिल में कई बिचार आये

काश बीबी एक्सचेंज का कोई ऑफर पायें

नई नबेली बीबी घर ले आयें

इसी उधेड़बुन में हम सो गए

सपनो में खो गए

देखा शुभ मुहूर्त में थी खरीददारी की बेला

लगा था बीबी एक्सचेंज मेला

हमने दिया ईश्वर को धन्यबाद

मिल गई थी मन मांगी मुराद

तुरंत एक्सचेंज की शर्तें जानी

कविता ले जाओ बदलकर कहानी

आप भी मेले में किस्मत आजमायें

जो आपको पसंद करें उसे घर ले जाएँ

मेले में उड़ रही थी रंगीन तितलियाँ

दिल पर गिरा रही थी शौख बिजलियाँ

बीबी को चाहने बाले मिल गये पचास

शुबह तक न हमको किसी ने डाली घास

नए के चक्कर में पुरानी भी गई

ये सोचकर हमारी चीख निकल गई

मैना की चाह में बुलबुल उड गई

इतने में हमारी नीद खुल  गई

पुरानी को पास पाकर मिला सुकून

नई बीबी का उतरा जूनून

नई बीबी का बिचार ख्याली

खटाऊ होती हे सात फेरेबाली

हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली

Dr.Ajay Khare

738/5Vijaynagar Jabalpur

Mobile 989326923000

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 12:58pm

Sabhi budhjano ko hosla afjai heyu dhanyabaad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 12:42pm

खटाऊ होती हे सात फेरेबाली ???   खड़ाऊं भी होती है !! अच्छा हुआ समय रहते चेत गए ,खैर हास्य रस का अच्छा रसास्वादन किया ।

 

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 2:51am

सही समय पर आँख खुल गई
सर जी हेप्पी दीपावली टू यू

Comment by seema agrawal on December 15, 2012 at 12:46am

इस रचना के लिए बधाई की पात्र  मैं mrs डॉ अजय खरे जी को मानती हूँ जिनकी वजह से आप इतने सच्चे और ईमानदार सपने देख पाते हैं   :) :) :) :) 

बहुत बहुत  बधाई इस हास्य रचना के लिए 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 14, 2012 at 6:43pm

हाहाहा

सपनें नें आँखें खोल दीं. बधाई इस रचना पर आ. डॉ. अजय 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2012 at 6:15pm

आपका सपना सच नहीं हुआ इसलिए 

हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली

 

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 4:27pm

hehehehehe...too gud :)

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 2:55pm
दीपावली का एक्सचेंज मेला अब हुआ पुराना, 
बीबी बदलने के विचार को मन में न अब लाना
हास्य परोसने की सोच से लिखा यह फ़साना 
गर हाथ लग गया घरवाली के तो देख फसना ।
बेलन उसके हाथ में होता है जरा संभल भाई,
फिर भी हमसे तो ले लो हास्य के बदले बधाई   

 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 14, 2012 at 1:34pm

Sharma ji dhnyabad

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 14, 2012 at 1:02pm

हाहाहा हास्यमयी सुन्दर रचना अजय सर बधाई स्वीकारें , ऐसे सपने दुबारा न देखें कहीं भाभी जी को पता चल गया तो आपकी खैर नहीं .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service