For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सप्त पदी को पार करेंगे (०९-१०-२०१२)

 

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

 

चंचल चित्त माधुरी शोखी

और कभी गहरी ख़ामोशी,

प्रिय की हर इक भाव लहर से

अपना नव शृंगार करेंगे...

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

 

प्रिय के हिय में मुस्काएंगे

नयन प्रीति भर इतरायेंगे,

कर्म क्षेत्र में धर्म मार्ग का

निष्ठावत आचार करेंगे...

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

 

अपनी राहों को मोड़ेंगे

प्रिय की मंजिल से जोड़ेंगे,

नव जीवन शैली में ढल कर

नव चिंतन स्वीकार करेंगे...

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

 

मृदु वचनों से सिंचित करके

प्रिय अँगना के नाजुक रिश्ते,

कंटक के सब बंध तोड़कर

अविरल सी रसधार करेंगे...

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

 

साजन सजनी सच्चे साथी

रौशन जैसे दीपक बाती,

श्रद्धामृत से निज हृदयों में

सभ्य सृजन विस्तार करेंगे...

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

Views: 1069

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 10, 2012 at 10:34pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी.

अक्षरी दोष को स्पष्ट करने हेतु हार्दिक आभार.

आदरणीया राजेश कुमारी जी ने भी इसे टंकण त्रुटि के तौर पर इंगित किया था, तब से मैं संशय में थी कि हम इस तरह से शब्दों को गेयतानुरूप परिवर्तित कर सकते हैं या नहीं.... 

इस हेतु आपका और आदरणीया राजेश जी का हार्दिक आभार.

श्रृंगार का सही रूप वस्तुतः शृंगार ही है ....... कृपया इसे भी अवश्य स्पष्ट करे. 

Comment by Rekha Joshi on October 10, 2012 at 9:48pm

   

हाथ थाम कर साजन सजनी सप्त पदी को पार करेंगे,

वचन बद्ध हो प्रिय चितवन का हर रस अंगीकार करेंगे...

अति सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई आ डा प्राची जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 10, 2012 at 8:39pm

आप सप्तपदी की कोर पकड कर अविरल धार बहा गयी हैं, डॉ. प्राची. बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है. सभी बंदों में हार्दिक भावनाओं का शानदार निरुपण हैं. इस उन्नत रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई. 

एक बात : चंचल चित माधुर्यी शोखी  .. इस पंक्ति में चित्त और मधुरम या माधुरी किया जाय तो अक्षरी दोष दूर किया जा सकता है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 10, 2012 at 3:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय मार्कंड दवे जी 

Comment by MARKAND DAVE. on October 10, 2012 at 2:11pm

प्रिय की हर इक भाव लहर से, अपना नव शृंगार करेंगे |

Very-Very Nice Said..! Thanks 4 sharing.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2012 at 12:06pm
जैसा आप ठीक समझें 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 10, 2012 at 11:43am

आदरणीया राजेश कुमारी जी

 आपको यह नव-गीत पसंद आया इस हेतु आभार 

यह रचना किसी भी तरह कि जल्दीबाजी में नहीं लिखी गयी है, आदरणीया.

यह टंकण त्रुटियाँ नहीं हैं, इन शब्दों को इसी रूप में लिखा गया है ....सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 10, 2012 at 11:34am

इस रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आ. राजेश कुमार झा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 10, 2012 at 11:34am

बहुत प्यारा मनभावन गीत लिखा है प्रिय प्राची जी बस कुछ टंकण त्रुटी जो हम लोग जल्दी बाजी में इग्नोर कर जाते हैं उनकी ओर ध्यान दिलाना चाहती हूँ 

चंचल चित माधुर्यी शोखी----इसमें चित्त कर लें  और माधुरी /माधुराई या माधुरता ही स्त्री लिंग विशेषण में आ सकता है 

शृंगार----श्रृंगार कर लें 

हार्दिक बधाई उत्सवों के मौसम में इस प्यारे गीत के लिए 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 10, 2012 at 11:21am

रचना इतनी खूबसूरत है कि कुछ नहीं कह पा रहा हूं । लगता है जैसे सचमुच कोई जोड़ा सप्‍तपदी करते हुए कसमें खा रहा है । बहुत बधाई इतनी सुंदर एवं कोमल रचना के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
11 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
20 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service