For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनाना तो चाहता हूँ ईद

मगर बंद है

मेरे दिल के दरवाज़े

और ईद का चाँद

मुझे दिखाई नहीं पड़ता

 

दिवाली,दशहरा कैसे मनाऊँ

मेरे अन्दर का रावण

नहीं मरता मुझसे

 

बापू की जयंती है

पर मै

उनसे भी शर्मिंदा हूँ  

मेरे अन्दर हिंसा है

लालच है

मै नहीं मिला पाता

अपनी नज़रें

उनकी तस्वीर से

 

जिन शहीदों ने

जान तक दे दी

हमारी आज़ादी के लिए

हमने उनका सब कुछ लूट लिया

और लूटा भी दिया

 

लोगों की

उदास बेचैन और लाचार आँखें

मुझे घूरती है

मै सबसे नज़रें चुराता हूँ

अपने आप को

कमरे में बंद कर लेना चाहता  हूँ  

मुझमें हिम्मत नहीं

उनसे आँखें मिलने की

न ही हिम्मत है

ईद, दिवाली या जयंती मनाने की

क्योंकि मै शर्मिंदा हूँ

मैंने आज़ादी के अर्थ

ईद के पैगाम

और दिवाली के महत्व को

समझा ही नहीं ।

Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on February 9, 2016 at 11:43am
आदरणीय नादिर साहब!बेहद अच्छी रचना लगी । लेखन बेहद सरल और सशक्त भाव से हुआ । जो रचना की सबसे बड़ी खूबी है ।सादर
Comment by नादिर ख़ान on October 9, 2012 at 4:50pm

बहुत शुक्रिया राज भाई 

Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2012 at 8:16pm

नादिर भाई साहेब, बहुत खूब लिखा है आपने, बड़ी सरलता और प्रवाह के साथ, शुरू से आखिर तक एक तारतम्य बना हुआ है, और ख्यालात के तो क्या कहने, लाजवाब! बधाई हो!

Comment by नादिर ख़ान on September 30, 2012 at 7:48pm

राजेश कुमारी जी  बहुत शुक्रिया आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 30, 2012 at 7:33pm

आत्म ग्लानी के भाव बहुत खूबसूरती से उकेरे हैं आपने रचना  के माध्यम से काश सभी के दिल में ये भाव आयें और देश के लिए कुछ सार्थक कदम उठायें नव जाग्रति आये बहुत बढ़िया प्रस्तुति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service