For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कई दिन की बारिश के बाद,

आज बड़ी अच्छी सी धूप खिली थी,

नीला सा आसमान,

जो भरा था कई सफ़ेद बादलों से,

कई लोगों ने अपने कपड़े,

फैला दिये थे सुखाने को छ्तों पर,

जो कई दिन से नमी से सिले पड़े थे,

याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,

की जब कहा करते थे की,

बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,

फिर जब धूप खिलती थी,

और आसमान भर जाता था सफ़ेद बादलों से,

तब कहा करते थे की,

ऊपर वाले ने भी सुखाने डाली है रजाइयाँ अपनी,

जो भीग गई थी, कल उसके ही आंसुओं से,

आज फिर से उन बादलों को देख कर लगा,

क्या वास्तव में ये रजाइयाँ ही हैं,

और क्या ये पानी सच में तब ही बरसता है की जब वो रोता है,

हाँ सच ही लगता है,

कोई भी रो पड़े जब तनहा हो,

कहीं दूर हो उस अकेले चाँद की तरह.......

~~ पियूष कुमार पंत......

Views: 399

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पियूष कुमार पंत on September 30, 2012 at 9:56pm

आप सभी का शुक्रिया...... 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 30, 2012 at 12:47am

याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,

की जब कहा करते थे की,

बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,

प्रिय पन्त जी ..बहुत सुन्दर रचना बचपन की यादें और खूबसूरत कल्पना की उड़ान 

जय श्री राधे 
अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 29, 2012 at 7:39pm

आपकी इस सुन्दर रचना नें मुझे बहुत पहले लिखी गयी मेरी ही एक रचना की पंक्तियाँ याद दिला दीं... यहाँ साझा कर रही हूँ. इस हेतु हार्दिक बधाई पियूष कुमार पन्त जी 

see all the milky clouds mourning in limitless sky...

they are pouring raindrops with my each and every cry...

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 29, 2012 at 5:55pm

बहुत अच्छा लिखा बहुत अच्छे भाव  है पियूष जी कुछ टंकण त्रुटी हैं ठीक कर लीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service