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आड़े वक्त मिलता है, नारी का ही साथ 
आड़े वक्त पकडती है, नारी तेरा हाथ |
 
नारी के ही प्रेम से, होते सब दुख दूर,
नारी घर परिवार की, मदद करे भरपूर |
 
नारी से खिलता है, घर बगिया का फूल,
नारी को अपमान का, दो न कभी भी शूल|
 
नारी का हो ह्रदय से,पूजित सा सम्मान,
नारी  चाहे ह्रदय से, केवल अपना मान |
 
स्त्री घर की लक्ष्मी है,उससे महकता घर,
स्त्री लावे किलकारी, करे जो रोशन घर |
 
देख महिमा नारी की, अपने सम तो मान,
दो पहिये की गाड़ी है, इसका सबको भान |
 
माँ बनकर नारी बने, गुरु प्रथम शिशु की,
उपेक्षित न रहे नारी, जय नारी शक्ति की | 

 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 
 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2012 at 9:15am

नारी सम्मान का उन्नत भाव परिलक्षित हो रहा है रचना में बहुत खूब बधाई आपको लक्ष्मण जी 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 25, 2012 at 8:15am

आदरणीय लक्ष्मण सर.......सुन्दर रचना के लिये बधाई.......

Comment by राज़ नवादवी on September 24, 2012 at 7:11pm

नारी के सम्मान में लिखी आपकी इस रचना को प्रणाम! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 24, 2012 at 7:07pm

नारियों के सम्मान में लिखी गयी आपकी इस रचना हेतु हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लाडिवाला जी. 

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