For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा : विरोध / गणेश जी "बागी"

लघु कथा : विरोध
यह तकरीबन रोज़ का ही किस्सा था कि कालोनी के बच्चे भोली भाली तूलिका का खिलौना छीन लेते और वह रोते-रोते घर आती और हर बार उसकी मम्मी समझा बुझाकर उसे शांत करा देती | आज शाम उसके मम्मी पापा बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे, तभी तूलिका भागी भागी घर आई और उसके पीछे रोते हुए राहुल को लेकर उसकी मम्मी भी आ पहुंची |
"देखिए बहन जी, आपकी बेटी ने मेरे राहुल को कितना मारा" राहुल के गाल पर पड़े चांटे का निशान दिखाते हुये राहुल की मम्मी बोलीं |
"तूलिका इधर आओ, तुमने राहुल को क्यों मारा"
"मम्मी पहले राहुल ने ही मेरी गुड़िया छीनी थी, तभी मैंने उसे मारा"
"बहन जी, तूलिका अभी बच्ची है, मैं समझा दूंगी, आइन्दा वो ऐसा नहीं करेगी"
राहुल की मम्मी भुनभुनाते हुए चली गई |
लेकिन न जाने क्यों तूलिका के डैडी मंद मंद मुस्कुरा रहे थे, अत: तूलिका की मम्मी पूछ ही बैठी,
"क्या बात है जी, आप बिटिया की इस हरकत से बहुत खुश नज़र आ रहे हैं ? "सच कहा जी, मैं आज वाक़ई बहुत खुश हूँ, आज हमारी बिटिया विरोध करना सीख गई है |"

*************************************************************************************************************************

मेरी अन्य लघुकथाओं को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें ...

Views: 993

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on November 9, 2012 at 12:19am

सही है विनम्रता अच्छी बात है पर ज़ुल्म सहना कायरता ।

Comment by Bhawesh Rajpal on September 24, 2012 at 4:09pm
आदरणीय गणेश जी ,  आपकी बहुत सी लघुकथाएं पढ़ी हैं , अनेक तो मन-मस्तिष्क को झकझोर कर रख देती हैं , विचार-प्रवाह को अचानक एक मोड़ दे कर झटके पर समाप्त करना आपकी विशेषता है जो हमें खूब भाती है ! बात चाहे साधारण हो या गंभीर , एक वाक्य में  उसे समझा कर चरित्र की मनोदशा उजागर करने में आप सक्षम हैं !
आपको अनेकानेक  बधाईयाँ !  और ह्रदय से  आभार  !-   भवेश  राजपाल  ! 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2012 at 7:34pm

शुभ्रांशु भाई, उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2012 at 7:33pm

आदरणीय नीरज जी, लघुकथा को सराहने और उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2012 at 7:32pm

आदरणीया किरण आर्या जी, आपकी टिप्पणी यह कहने में सक्षम है की आपने इस लघुकथा को दिल से महसूस की हैं , सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया |

Comment by Shubhranshu Pandey on September 23, 2012 at 11:47am

कईदिनों के बाद नेट पर आ पाया हूँ...विचार देने में देरी के लिये माफ़ी चाहता हूँ...

मैं बता बहीं सकता इस कथा ने मुझे कितनी दूर तक अपना सा लगा है...अभी कुछ दिनों पहले ही ऎसी ही खुशी मुझे मिली थी...वैसे इलाहाबाद में दो बालिकाओं ने मनचलों के खिलाफ़ विरोध का बिगुल तो फ़ूँक दिया ही था...शायद इसे ही कहते हैं कथा को मूर्तरूप देना...

एक उत्प्रेरक कथा के लिये बधाई..

Comment by Kiran Arya on September 22, 2012 at 7:21pm

गणेश जी आपकी लघुकथा गागर में सागर समान है इसे पढ़ मुझे मेरी बेटी के बचपन की एक घटना याद आ गई एक बार वो नीचे खेलने गई और एक छोटे बच्चे ने उसको काट लिया वो रोते हुए घर आई तो मैंने कहा की वो तुमसे छोटा था और फिर भी उसने तुम्हे काट लिया तो बोली मम्मा देखो जब मैंने उसे कुछ नहीं कहा तो उसने ये किया गर मैं कुछ कहती तो ना जाने वो क्या हश्र करता मेरा.........और मैं मुस्कुराये बिना ना रह सकी.......आप सभी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है यहाँ........शुभं

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 22, 2012 at 8:01am

आदरणीय गणेश सर........सही सन्देश देती रचना.....हार्दिक बधाई.........

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2012 at 11:39pm

गणेश जी वाह वा बुरी आदत नहीं है मगर अति तो हर चीज के बुरी होती है
:))))


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2012 at 11:19pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय बागडे साहब |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service