For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !

(साभार गूगल से)

.

भूतल में समाई सिया उर कर रहा धिक्कार
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !

देवी अहिल्या को लौटाया नारी का सम्मान
अपनी सिया का साथ न दे पाया किन्तु राम
है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार !
पितृ सत्ता के समक्ष ........

वध किया अनाचारी का बालि हो या रावण
नारी को मिले मान बस था यही कारण
पर दिला पाया कहाँ सीता को ये अधिकार !
पितृ सत्ता के समक्ष .......

नारी नर समान है ; वस्तु नहीं नारी
एक पत्नी व्रत लिया इसीलिए भारी
पर तोड़ नहीं पाया पितृ सत्ता की दीवार !
पितृ सत्ता के समक्ष .....

अग्नि-परीक्षा सीता की अपराध था घनघोर
अपवाद न उठे कोई इस बात पर था जोर
फिर भी लगे सिया पर आरोप निराधार !
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !!

शिखा कौशिक

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shikha kaushik on October 1, 2012 at 1:32am

लोकेश जी व् सौरभ जी -  आपने इस रचना का अवलोकन किया व् अपने मत से परिचित कराया .हार्दिक आभार स्वीकार करें 

Comment by लोकेश सिंह on September 20, 2012 at 10:18am

शिखा जी यह कटु सत्य है  और प्रकृति का नियम है  जो सबल होता है वो दुर्बल का शोषण करता है ,फिर चीर वह स्त्री हो या पुरुष ,शोषण के लिए जितना शोषक का दोष होता है उतना शोषण होने देना  भी अपराध है ,क्या उस समय समाज की स्त्री शक्ति संगठित होकर इस कृत्य का विरोध नहीं कर सकती थी ,किया भी होगा हमें और आपको नहीं पता क्योकि कोई भी व्यक्ति समांग वर्णन एतिहासिक और पौराणिक तथ्यों और कथ्यों कनाही करता ,और सत्ता का मद अनैतिकता का ही पर्याय है फिर छाए पितृ सत्तात्मक समाज हो या मात्र्सत्तात्मक  समाज ,इसे हम राम की हार नहीं कह सकते यह परिस्तिथि जन्य विवशता थी ,अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत साधुवाद ....लोकेश सिंह 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 19, 2012 at 2:18pm

संप्रेष्य भावनाएँ वैचारिक विन्यास का परावर्तन हैं. आपकी सोच के प्रति सकारात्मकता बनी है. लेकिन ऐसे अनेकानेक प्रश्न अद्वितीय नहीं हैं. अतः इनका संप्रेषण शिल्पगत हो तो असर सार्थक होता है. जानना उचित होगा कि शिल्पगत होना छंदबद्ध मात्र होने का पर्याय नहीं है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by seema agrawal on September 19, 2012 at 2:06pm

प्रश्न पुराने हैं ...चाहे द्रौपदी हों या सीता पुरुष सत्तात्मक समाज का दंश नारी को  झेलना ही पडा है पर अब तो परिदृश्य बदल रहा है और यह बहाव रुकने वाला नहीं है ..बधाई शिखा जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 19, 2012 at 1:42pm

शिखा कौशिक जी, यह तो सही है कि -

 नारी सदियों से ही उपेक्षित सी रही है
 नारी के प्रति सम भाव आभाव रहा है
सीता के प्रति जुल्म भरी गाथाए दिखती
पर क्या -
राम ने सीता के अत्याचारी रावण का संहार नहीं किया ?
राम ने सीता के वियोग में विलाप करते अश्रु नहीं बहाए ?
आप ने भी माना आरोप न लगे कोई इस बात पर था जोर,
वज्र पाषाण रख ह्रदय पर, राम ने निर्णय लिया अति कठोर |
अग्नि परीक्षा के निर्णय से राम भी दुखी रहे होंगे घनघोर, 
चिर हरण देख द्रोपदी का,भीष्म पितामह क्या कर सके शोर |
 अब क्या होना चाहिए -
संस्कारित बेटी करें, कुल का ऊँचा नाम     
 
बेटे रावण, कंस से, करते कुल बदनाम/
 
परम्परा चलाय रही, बेटो से वंश प्रथा,
 
"संस्कारित बेटी कहे, बदल यह व्यवस्था,
 
बेटा-बेटी बराबर, इनमे न भेद करो,
 
एक माँ के है संताने, इनमे प्यार भरों |
  
     
Comment by shikha kaushik on September 19, 2012 at 1:30pm
राजेश जी व् गणेश जी -पितृ सत्ता की जंजीरें इतनी मजबूत रही हैं कि राम-सिया में परस्पर अटल विश्वास होते हुए भी उनका वियोग हुआ .आपने अपना मत प्रकट किया इस हेतु हार्दिक आभार .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 19, 2012 at 1:26pm

शिखा जी, बहुत ही सुन्दर रचना, आपके द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब कठिन है, सभी घटनाओं के पीछे तथ्य क्या है वह पता नहीं, किन्तु जो हुआ, किस परिस्थितिवश हुआ यह अनसुलझा पहलु है, कल भी सवाल उठे थे आज भी उठ रहा है और भविष्य में भी उठेंगे ही, बधाई इस अभिव्यक्ति पर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 19, 2012 at 12:40pm

बहुत जबरदस्त कटाक्ष अपने पूर्व धार्मिक ग्रंथों से करती हुई सटीक सवाल सुन्दर रचना बधाई शिखा जी 

धार्मिक ग्रन्थ हो या पूर्व कवियों की रचनाएं कहीं कहीं नारी अस्तित्व से जुड़े ऐसे उदाहरण आ जाते हैं जिनसे आज की नारी का प्रश्न पूछना स्वाभाविक है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
15 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service