For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे परमपिता
ना देना कभी
इतनी नजदीकी
कि तुम्हारा प्रकाश
लगने लगे ताप
या फिर इतनी दूरी
कि रह जाए धुंध ही केवल
दृष्टिरेख में ...
 
हे तेजोमय
नर्क का डर
या स्वर्ग की लालसा
ना बने कारण
मेरी आस्‍था का

खुरचना प्रतिपल
मेरी ठसक
मेरे बुर्जुआपन को
ताकि समझ सकूं
तुम्‍‍हारी अभिव्‍यक्तियां
कर्पूरी अनुभूतियां
अपने लबादे के
तार-तार होने तक

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 3:50pm

धन्यवाद मित्र !

Comment by राजेश 'मृदु' on September 12, 2012 at 3:46pm

आदरणीय अंबरीष जी, सौरभ जी,राजेश कुमारी जी एवं रेखा जी आप सबका हार्दिक आभार रचना का संज्ञान लेने के लिए

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 12, 2012 at 9:38am

//

हे तेजोमय
नर्क का डर
या स्वर्ग की लालसा
ना बने कारण
मेरी आस्‍था का//
रचना में निहित सुन्दर व सार्थक भावों के लिए बधाई मित्र !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2012 at 9:30am

अच्छी भाव-दशा के लिये बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 11, 2012 at 9:08pm

बहुत सुन्दर अनुपम भावाभिव्यक्ति बहुत बधाई आपको 

Comment by Rekha Joshi on September 11, 2012 at 6:34pm

हे तेजोमय

नर्क का डर
या स्वर्ग की लालसा
ना बने कारण
मेरी आस्‍था का,अति सुंदर अभिव्यक्ति राजेश जी ,बधाई 
Comment by राजेश 'मृदु' on September 11, 2012 at 5:46pm

आदरणीय गणेश जी एवं सीमा जी आपका हार्दिक आभार । अपना स्‍नेह बनाए रखें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 11, 2012 at 4:08pm
हे तेजोमय
नर्क का डर
या स्वर्ग की लालसा
ना बने कारण
मेरी आस्‍था का...............इस रचना कि पंच लाइन, वाह वाह, बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति, बधाई हो राजेश कुमार झा जी |
Comment by seema agrawal on September 11, 2012 at 3:30pm

हे तेजोमय

नर्क का डर
या स्वर्ग की लालसा
ना बने कारण
मेरी आस्‍था का..........बहुत सुन्दर और सत्य बात कही 
मनोविज्ञान में शब्द होता है value internalization ........अर्थात जब किसी कर्म के प्रतिपादन के पीछे कोई reinforcement(negative or positive ie punishment or reward ) ना apply करना पड़े तभी मनाना चाहिए की वह value आत्मसात की जा चुकी है 
जब तक आस्था के कारणों को इस्श्वर के अर्थ को आत्मसात नही किया जाता ये दोनों तत्व motivational force की तरह चलते ही रहेंगे  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service