For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"जिन्दगी का कोरा सच

"जिन्दगी का कोरा सच "

सच
जिन्दगी का
कभी ग़ज़ल बना
कभी नज्म
कभी रुबाइयाँ
लिखते रहे
गुनगुनाते रहे
सुनते रहे
सुनाते रहे
क्या क्या न लिखा
धुप छाँव
राह, मंजिल
पड़ाव
गुल, गुलशन
खार
कभी जिन्दगी
इक भार 
दोस्त, यार
फिर दुनिया में
भ्रष्टाचार
हाहाकार
कभी सम्मान
कभी तिरस्कार
कभी लगती रही 
ये व्यापार
खुद दुकानदार
कभी नफरत
तो कभी प्यार
बार बार
लेकिन
हर बार
कलम रुकी
सच में
हाँ सच में
जो कोरा है
हाँ मौत
मौत है
जिन्दगी का कोरा सच
जो कभी न लिख पाया
वो आज भी कोरा है 

संदीप पटेल "दीप"

Views: 762

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 11:34am

आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आपकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद लेखन की गहराई का अंदाजा सा लग जाता है
ये कविता मैंने कल ही महज १० मिनट में लिखी है
और कुछ शांति भंग करने वाले तत्वों के आगमन की वजह से अंत प्रभावित हो गया
या ऐसा कहूँ आपके कहे अनुसार इसे ढंग से पकाया नहीं और परोस दिया है
इसीलिए अंत में थोड़ी फीकी हो गयी
आपका निरंतर सहयोग, स्नेह  और आशीर्वाद से ही मैं इस तरह से लेखन कुछ आजमाइश कर लेता हूँ
किन्तु अगले प्रयास में आप और कसावट महसूस करेंगे ऐसा आपसे मेरा वायदा है 
स्नेह यूँ ही मुझ पर बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 11:29am

आदरणीय गौरव अजीतेन्दु जी सादर नमस्कार
आपकी प्रसंसा मिली मन को सुखद अनुभूति हुई
ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर
सादर आभार आपका

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 11:28am

आदरणीय लक्ष्मण सर जी सादर नमन
आपकी सराहना मिली लेखन सफल हुआ
आपका ये स्नेह और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये

सत्य ही कहा आपने वो सच लिखने में तो जितना लिखा जाये उतना कम है
फिर भी आप सभी सुधीजनों के बीच अपने कुछ विचार इस तरह रख दिए हैं
जिनको आपकी सराहना मिली
आपका ह्रदय से धन्यवाद और सादर आभार 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 4, 2012 at 11:25am

आदरणीय फूल सिंह जी सादर नमस्कार
आपकी मिली सराहना ह्रदय में धारते हुए ख़ुशी हो रही है
आपका बहुत बहुत आभार
अपना स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 3, 2012 at 10:50pm

वाह, कविता सरपट दौड़ती हुई अपने मंजिल तक पहुची है, अंतिम पक्तियों तक आते आते ह्रदय को स्पर्श करती है यह रचना, बधाई हो संदीप जी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2012 at 10:49pm

कवि की वैचारिकता, आत्म-मंथन एवं आत्मान्वेषण की प्रक्रिया-दशा को सुन्दर ढंग से उभारा है आपने, संदीप भाई.  हृदय से बधाई.

लगता है यह आपकी पहले की रचना है. इसका अंत और सुगढ़ हो सकता था. इसी कारण कह रहा हूँ.

सधन्यवाद

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:41pm

सत्य वचन मित्रवर........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2012 at 7:09pm

मानव जिंदगी का सच कौरा ही है | प्रभु के गुण ही सच है जो लिख पाने को कागज भी अधुरा (कम है)तभी कबीर जी ने खा है

'सात समंदर की श्याही करों,लेखनी सब बन राइ 

 धरती रों कागद करों, हरी गुण लिख्या न जाई |
सुन्दर रचना,बधाई संदीप कुमार पटेल भाई |
Comment by PHOOL SINGH on September 3, 2012 at 5:31pm

संदीप जी नमस्कार,

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना..........

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service