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मिठास रिश्तों की

अरे ! कहाँ गई !
अभी तो यहीं थी !
लगता है कहीं गिर ही गई
इस आपाधापी में,
हो सकता है कुचल दी गई होगी
किन्हीं कदमों के तले,
या फिर उड़ा ले गया उसे
झोंका कोई हवा का ;
चाहे चुरा ले गया होगा चोर कोई,
लेकिन चुराएगा कौन !
चीज तो काफी पुरानी थी
फटी-चिटी, धूल-धूसरित,
बहुत संभव है फेंक दिया होगा
किसी ने बेकार समझ के
और ले गया होगा कोई
आउटडेटेड आदमी अपने
स्वभाव के झोपड़े में लगाने के लिए ;
कहीं कहानी लिखनेवाले
तो उठा नहीं ले गये !
कवियों का भी काम हो सकता है,
अन्यथा कोई वृद्ध ले गया होगा
अपने जमाने की शान को
लगा के कलेजे से,
बैठ के अकेले में साथ रोने के लिये
अपनी और उसकी दुर्दशा पर ;
खैर.......जो कुछ भी हो,
अब तो मिलने से ही रही
वो खोई हुई चीज
"मिठास रिश्तों की" |

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 5, 2012 at 7:45am

आदरणीय रक्ताले सर........कविता को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार......

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 4, 2012 at 12:58pm

गौरव जी

           सादर, सच है वक्त के साथ रिश्तों की मिठास भी कम होती जा रही है. बहुत ही सुन्दर रचना बधाई.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 4, 2012 at 6:47am

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर........आपका दिल से आभार......आपके इसी स्नेह और मार्गदर्शन का आकांक्षी हूँ.......धन्यवाद........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 3, 2012 at 11:33pm

ओह्होह ! ...  वाह ! क्या ही निर्वहन हुआ है .. !!

इस कथ्यपरक रचना के लिये आपको बार-बार बधाई कह रहा हूँ... . आपके रचना-कर्म में आवश्यक निखार आ रहा है, भाई.

निरंतरता बनाये रखें.  पुनः,-पुनः बधाई.. .

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:58pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद योग्यता जी.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:57pm

आदरणीया रेखा जी.......रचना को पसंद करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:56pm

आदरणीया प्राची जी, कविता को पसंद करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:54pm

आदरणीय फूल सिंह जी........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:54pm

आदरणीय लक्ष्मण सर.......रचना के भावों को सराहने के लिये आपका धन्यवाद.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 3, 2012 at 10:52pm

आदरणीय मित्र संदीप जी....कविता को पसंद करने के लिये आपका हार्दिक आभार..........

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