For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारतीय सेना को समर्पित एक घनाक्षरी.........

भारती के झंडे तले, आए दिवा रात ढले,
देश के जवान चले, माँ की रखवाली में |

बाजुओं में शस्त्र धरें, मौत से कभी न डरें,
साथ-साथ ले के चलें, शीश मानो थाली में |

नाहरों की टोली बने, खून से ही होली मने,
शादियों में तोप चले, गोलियाँ दिवाली में |

भाग जाना दूर बैरी, वर्ना नहीं खैर तेरी,
काट-काट फेंक देंगे, एक-आध ताली में ||

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:35pm

आदरणीया राजेश जी......प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:33pm

आदरणीया रेखा जी........प्रोत्साहन के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:31pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर.....आपसे प्रशंसा पाकर मन गदगद हुआ......स्नेह बनाये रखियेगा......आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:29pm

प्रिय मित्र संदीप पटेल जी........प्रेमपूर्ण सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:28pm

आदरणीय गणेश सर.......उत्साहवर्धन एवं सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद........

Comment by Rekha Joshi on September 2, 2012 at 6:46pm

बहुत बढ़िया धनाक्षरी के लिए बहुत बहुत बधाई गौरव जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:57pm

कुमार अजीतेन्दु जी, आपकी घनाक्षरी ने तो रोमांच पैदा कर दिया. बहुत-बहुत बधाई.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 3:11pm

बहुत शानदार घनाक्षरी रची है आदरणीय अजीतेंदु जी
इस शानदार छंद के लिए साधू साधू


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 2:49pm

वाह वाह, बहुत खूब, बिलकुल प्रवाह में है यह घनाक्षरी, वीर रस से ओत प्रोत इस कवित्त हेतु बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 11:41am

बाजुओं में शस्त्र धरें, मौत से कभी न डरें,
साथ-साथ ले के चलें, शीश मानो थाली में |---वाह कुमार अजीतेंदु जी लाजबाब ,जबरदस्त भावपूर्ण घनाक्षरी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service