For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी

नीयत हो यदि साफ़ हमारी बाबाजी
नियति भी तब लगेगी प्यारी बाबाजी

पुस्तक, सी डी और  दवायें बेच रहे
सन्त नहीं, वे  हैं व्यापारी बाबाजी

कोई किसी का सगा नहीं है दुनिया में
सब मतलब की रिश्तेदारी बाबाजी

दाज नहीं तो दूल्हा बैरंग लौट गया
इसको कहते दुनियादारी बाबाजी

तुम पूछो या मत पूछो, मैं कहता हूँ
क़र्ज़ है सबसे बड़ी बीमारी बाबाजी

ऊँची एड़ी वाले सैंडिल फिसले तो
लग जायेगी चोट करारी बाबाजी 

अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 778

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 6:24pm

कोई किसी का सगा नहीं है दुनिया में 
सब मतलब की रिश्तेदारी बाबाजी 

वाह वाह...

 

Comment by Raj Tomar on July 21, 2012 at 5:33pm

बहुत खूब अलबेला साब. क्या बात कही :)

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 5:12pm

आपकी स्नेहसिक्त टिप्पणी ने  गदगद कर दिया ...
डॉ सूर्या बाली सूरज जी
आपका हार्दिक आभार

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 5:05pm

धन्यवाद  भाई श्री अरुण जी........
आभार

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 5:04pm

बहुत बहुत धन्यवाद सीमा जी.........
हार्दिक आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 1:03pm

अदभुत रचना
ये तीर केवल आपके धनुष से ही निकल सकता है ये बात तो पक्की है
हास्य लिए इतना गंभीर घाव करने की क्षमता केवल उसी तीर में है
वाह वाह वाह
बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें साहब
जय हो

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 21, 2012 at 12:32pm

अलबेला भाई काश इसी तरह सबकी मति मारी जाती। कम से कम समाज की विसंगतियाँ तो उजागर होतीं। बहुत सुंदर  रचना। दाद कुबूल करें !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 21, 2012 at 12:11pm

वाह इक और अलबेली रचना बहुत खूब बधाई...

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 11:28am
धन्यवाद एडमिन महोदय,

इस रचना को प्रकाशित  करने के लिए आपका आभार 
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service