कभी अपने नाखून देखे हैं
अपने अल्फाजों के नाखून
हाँ यही बहुत पैने हैं तीखे हैं
चुभते हैं
ज़रा तराश लो इन्हें
इनकी खरोंचों से चुभन होती है
ये विदीर्ण कर जाते हैं
मेरे मोम से कोमल ह्रदय को
बेकार ही इन्हें बढ़ाई जा रही हो
आखिर किसे भायेगा ये नखक्षेदन
इन्हें तराश लो
देखो इनका पैनापन सहने की क्षमता
मेरे मोम से ह्रदय में तो नहीं है
तराश लो न इन्हें
आखिर कब तक इन्हें चुभो चुभो के
मेरे मन को विदीर्ण करती रहोगी
तराश लो न इन्हें
"दीप"
Comment
वाह सर, एक बहुत अच्छी उपमा। यह प्रयोग वाकई काफी अच्छा लगा।
बधाई स्वीकारिये
बढे हुए नाखून तो सुंदरता के लिए आवश्यक हैं उनकी नज़र में ! उन्हें कटवाएँगे तो वो आप ही को छोड़ जाएगी ! :-)) :-))
बहुत अच्छी कविता मित्र ! वास्तव में नाखून वाले शब्द आत्मा तक घायल कर जाते हैं ! बढ़िया प्रस्तुति !
आदरणीय भ्रमर जी
मेरी इस कविता को आपका स्नेह प्राप्त हुआ
आपके प्रतिक्रिया के शब्द मुझे लिखने के लिए प्रेरित करते हैं
अपना ये असीम स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका सादर आभार
अपने अल्फाजों के नाखून
हाँ यही बहुत पैने हैं तीखे हैं
चुभते हैं
ज़रा तराश लो इन्हें
इनकी खरोंचों से चुभन होती है
ये विदीर्ण कर जाते हैं
मेरे मोम से कोमल ह्रदय को
संदीप जी खूबसूरत ....बहुत अच्छा सन्देश देती रचना ..आइये तराश लें ..अपनी जिह्वा पर नियंत्रण रख ..
आदरणीय अलबेला सर जी
आपकी प्रतिक्रिया का प्रसाद मिला मुझे
मन प्रसन्न हो गया
चित्त में सुखद अनुभूति हुई है
आपका ये स्नेह यूँ ही अनवरत मुझ पर बनाये रखिये
आपका कोटि कोटि धन्यवाद सहित आभार
भाई संदीप पटेल दीप जी.......
बड़ी कोमलकान्त अभिव्यक्ति कर दी आपने........
हाय रे इस अदा पर कौन न मर मिटे........
आखिर कब तक इन्हें चुभो चुभो के
मेरे मन को विदीर्ण करती रहोगी
तराश लो न इन्हें
__बहुत सुन्दर काव्य,,,,,,,,,,,,बधाई मेरे भाई.....
आदरणीया डॉ साहिबा आपको लेखन पसंद आया
मेरा मनोबल बढ़ गया
अपना स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
बहुत सुन्दर सटीक बिम्ब... सुन्दर रचना के लिए बधाई आ. दीप जी
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