तो मालूम हुआ..
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मैं चलते चलते गिर गया था, तुमने खुद झुक के उठाया तो मालूम हुआ, मैं ख़्वाब देखते देखते सो गया था, तुमने चुपचाप जगाया तो मालूम हुआ. मैं तुझे पुकारते कहीं खो गया था, पास आया तेरा साया तो मालूम हुआ, बहुत पहले ही दिल की मिट्टी में कोई प्यार के बीज बो गया था, आँधियों में पेड़ जो लहराया तो मालूम हुआ. अभी अभी कोई मेरी वीरानियों में आके रो गया था, आईने ने जो मुझे चेह्रा दिखाया तो मालूम हुआ.मैं राहरौ होके भी खुश था, क्या होती हैं घरबार की खुशियाँ, मैं जो सहरा से निकल आया तो मालूम हुआ. कोई कब से मेरे पहलू में मुन्तजिर थामेरी नज़रों का, मैंने नज़रों को ज़मीं पर से उठाया तो मालूम हुआ. मेरी ज़िंदगी भी किसी के एहसानों की कर्ज़दार है, आज जब हमने सबका हिसाब चुकाया तो मालूम हुआ.
मुझे तुमसे खेलखेल में, सचमुच में प्यार हो गया था, तुमने आज जब रो रो के रुलाया तो मालूम हुआ!
© राज़ नवादवी
पुणे, २१/०४/२०१२
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