For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"न जाने क्यूँ किसी को खल रहा हूँ"

न  जाने  क्यूँ  किसी  को  खल  रहा  हूँ ,
मै  अपनी  रह  गुज़र  पर  चल  रहा  हूँ ....

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ ....

मै  तेरे  नाम  की  शोहरत  हूँ  शाएद ,
इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ .....

मुझे  तू  याद  रखे  या  भुला  दे ,
मै  तेरी  याद  में  हर  पल  रहा  हूँ ....

उसी  ने  रिश्ता -ए -दिल  तोड़   डाला ,
मै  जिसके  वास्ते बे -कल  रहा  हूँ ....

खुदा  का  शुक्र  है  ''रिजवान '' अब  तक ,
मै  अपनी  जुस्तुजू  में  चल  रहा  हूँ .....



"रिजवान खैराबादी"

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on October 28, 2015 at 10:44am
शुक्रिया आप सभी का
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2013 at 3:31pm
"वाह! क्या बात है, रिजवान भाई ..""न जाने क्यूँ किसी को खल रहा हूँ, मै अपनी रह गुजर पर चल रहा हूँ...मुझे तू याद रखे या भुला दे, मैं तेरी याद में पल रहा हूँ...उसी ने रिश्ता-ए-तोड़ डाला, मैं जिसके वास्ते बे-कल रहा हूँ..."बहुत खूब...रिजवान भाई, शुभकामनाऐं
Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 17, 2012 at 9:51pm

हौसला अफजाई का शुक्रिया.............. 


Comment by Roshni Dhir on May 6, 2012 at 10:54pm

रिजवान जी,

मुझे  तू  याद  रखे  या  भुला  दे ,
मै  तेरी  याद  में  हर  पल  रहा  हूँ..

बहुत सुंदर गज़ल हर शेर खूबसूरत 

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 6, 2012 at 10:50pm
Thanx
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 6, 2012 at 7:27pm

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ

वाह-वाह जनाब! क्या ख़ूब तेवर दिखाए हैं आपने अपनी ग़ज़ल में| ख़ुशामदीद रिज़वान जी!

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 12:25am

वाह रिजवान सर, सारे शे'र दमदार। पूरी गजल ही दमदार। सारे शे'र बहुत पसन्द आये।
बधाई स्वीकारें

Comment by वीनस केसरी on May 5, 2012 at 11:45pm

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ ....

बढ़िया शेर कह दिया है भाई रिजवान
आंधी और दिया पर शइरों ने इतना कुछ कह दिया है कि इस विषय को नई कहन में प्रस्तुत करना एक चुनौती ही है जिस पर आप खरे उतरे हैं ...

आपकी ग़ज़ल आपका जो परिचय पेश कर रही है उसके अनुसार आपको यहाँ देख कर खुशी हुई
तहे दिल से स्वागत है


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2012 at 8:47pm

रिजवान जी, सभी शे'र खुबसूरत ख्यालात से लबरेज हैं, अच्छी ग़ज़ल कही है |

इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ....मुझे लग रहा की शायद "बयेस" में टंकण त्रुटी है | बहरहाल दाद कुबूल करे जनाब |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 5, 2012 at 8:16pm

मै  तेरे  नाम  की  शोहरत  हूँ  शाएद ,
इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ .....रिजवान साहब हर शेर दिल में उतरता है आपका ...वाह .....   इससे ज्यादा और क्या कहूँ  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  आप सब गुणीजनों को…"
4 seconds ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मयंक जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार kijiye गुणीजनों की टिप्पणियाँ…"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही अपने बधाई स्वीकार kijiye  गुणीजनों की इस्लाह और…"
5 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमीर जी  हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया आपका  सीखने की कोशिश ज़ारी रहेगी…"
12 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अमित जी  बहुत शुक्रिया आपका ,  फिर प्रयास करती हूँ  सादर "
16 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मेरे अनुभव आपके मुहावरों के गुलाम हों ये ज़रूरी तो नहीं।"
1 hour ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत खूब, आदरणीय ... सादर प्रणाम ! बेहद खूबसूरत मक़्ते के साथ एक बेहतरीन प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपकी इस बात का कोई अर्थ नहीं निकल रहा। घड़ी भर का फ़र्क़ न मुहावरा है ना कहावत।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मंजुल मयंक जी आदाब, आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ, आपसे गुज़ारिश है कि कुछेक दर्जन गुज़िश्ता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, आपकी ग़ज़ल के अशआर बहुत अच्छे साँचे में ढाले गये हैं मह्ज़ तराशने…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सफलता घड़ी देख कर नहीं जुनून से मिलती है। आंतरप्रेन्योर और नौकर में सिर्फ घड़ी भर का फ़र्क है"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service