For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खूबसूरत सपनों नें
कितनी रातों को मुझे जगाया,
कंटीले रास्तों पर
बेतहाशा दौड़ाया,
बार-बार गिराया..
फिर भागने के लिए
सम्हल सम्हल उठना सिखाया,
और मैं भागती गयी...
घायल पैरों के
फूटे छालों से
रिसते लहू की
परवाह किये बिना
बस भागती गयी...
पर
हमेशा
सिर्फ दो कदम के फासले पर
मुस्कुराते रहे सपने ..
मुझे भगाते रहे सपने..
हाथ आते ही
फिर रूप बदल
सिर्फ दो कदम से
मुझे ललचाते रहे सपने..
एक न बुझने वाली अगन में
मुझे जलाते रहे सपने..
पर
आज ......
जैसे ही
मन फेर इन सपनों से,

मैं खड़ी हूँ स्वयं की सम्पूर्णता में आनंदित....
तो
ये बेचैन हैं
फूलों की चादर बन
मेरे कदमों तले
बिखर जाने को...
ये सहला रहे हैं
मेरे पैर
अपनी सुकून भरी
ठंडक से...
और
मैं मुस्कुरा रही हूँ
प्रकृति की इस गोपनीयता पर !

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 12:15pm

Heartfelt thanks dear Mahima Shree ji


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 5, 2012 at 11:14am

सुंदर काव्य-अभिव्यक्ति. बधाई स्वीकारें डॉ प्राची जी.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:58am

खूबसूरत सपनों नें
कितनी रातों को मुझे जगाया,
कंटीले रास्तों पर
बेतहाशा दौड़ाया,
बार-बार गिराया..
फिर भागने के लिए
सम्हल सम्हल उठना सिखाया,

आदरणीया प्राची जी , सुन्दर काव्यात्मक प्रस्तुति. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 4, 2012 at 6:29pm

प्रकृति और जीवन के अनोखे सपनो में बहुत सुन्दर तारतम्य स्थापित करती हुई  बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति बधाई 

Comment by आशीष यादव on May 4, 2012 at 5:56pm
वाह अति सुन्दर अभिव्यक्ति। इस सुन्दर रचना पर बधाई।
Comment by MAHIMA SHREE on May 4, 2012 at 5:09pm
मुस्कुराते रहे सपने ..
मुझे भगाते रहे सपने..
हाथ आते ही
फिर रूप बदल
सिर्फ दो कदम से
मुझे ललचाते रहे सपने..
एक न बुझने वाली अगन में
मुझे जलाते रहे सपने....
आदरणीय प्राची जी
सुंदर मनो अभिवयक्ति .. बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service