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जब भी करने लगती हूँ मैं खुद से दिल की बात
दिल दिखलाता है सारे सच , भूल के सब जज़्बात …

मैने पुछा अन्तः मन से ,
अपने हर एक रूप में, प्यार बहुत ही सुन्दर है
वो बोला हाँ सुन्दर है …

मैने पुछा मुझे बताओ ,
कोई ख़ास जब आता है , क्यूँ वो ही मन को भाता है
दिल बोला पिछले जन्मों का शायद कोई नाता है …

मैने कहा ऐसा लगता है
जैसे उसको मेरे सांचे मे ढाल कर
और मुझको उसके सांचे मे ढाल कर बनाया है ,
ऐसा लगता है वो जैसे हमसाया है
जो जन्मों से संग संग आया है ..

दिल बोला ,
अब भ्रम मत पालो , सच से अब तुम आँख मिला लो …
सच है जब वो आता है , रूह तलक छू जाता है
पर वो आया तुम्हे बताने , इश्वर कैसा होता है ?
गर भागे जो उसको पाने , ये ही बस एक धोखा है ,

देख लो उसको , छू लो उसको , पी लो उसको , जी लो उसको ,
साँसों मे जब वो बस जाए , रूह तलक जब वो छू जाए ,
तुम नतमस्तक हो जाना , खुद मे हर पल उसको पाना ,
ये दूत है जो खुद आया है , उस परमशक्ति का साया है ,
उसने गुप्त सन्देश पड़ा , जो रूह ने है चुप चाप सुना ,
सत्य राह समझाने दो, अब दूत को तो घर जाने दो ,
जो ज्ञान मिला उसको रखना, हर बूँद मे बस अमृत चखना
उस अमृत मे लय हो कर के , तुम एक नयी दुनिया रचना ,

दिल ने मुझको समझाया
इश्वर होता है अनंत उसको टुकड़ों मे क्यों पाना
उस अनंत के हर कण को इसी दिव्य प्रेम से अपनाना
जो दूत लगा है हमसाया , वो कहाँ भिन्न उस शत्रु से
जिसने तुमको है तड़पाया, हो नफरत मे जिस से कब से .
नफरत की हर एक ग्रंथि को , इस प्रेम की लौ से पिघलाना
जो सुर बिगडे हैं जन्मों से , उन सबको एक लय मे लाना
घर मे , रिश्तों मे , दुनिया मे , इसको प्रतिबिंबित करना
इस अनंत के प्यार को तुम फिर सृष्टि तक विस्तृत करना .
जब ब्रह्माण्ड के हर कण से एक रिश्ता सा बन जाएगा ,
रे भोले भाले से मन तू खुद अनंत हो जाएगा !

Views: 448

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 5, 2012 at 10:03pm

ये दूत है जो खुद आया है , उस परमशक्ति का साया है ,
उसने गुप्त सन्देश पड़ा , जो रूह ने है चुप चाप सुना ,
सत्य राह समझाने दो, अब दूत को तो घर जाने दो ,
जो ज्ञान मिला उसको रखना, हर बूँद मे बस अमृत चखना
उस अमृत मे लय हो कर के , तुम एक नयी दुनिया रचना ,
  बहुत अच्छे भाव प्राची  पढने में कुछ लेट हो गई |इस सुन्दर रचना के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 9:24pm

ह्रदय से आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

इस रचना को मैंने एक शब्द भी एडिट नहीं किया, ना ही कुछ सोच कर लिखा..
बस एक प्रवाह में भाव सिमटते गए, और फिर कही कुछ भी बदलने का मन नहीं किया, इसलिए जस की तस ही पोस्ट कर दी.
हिंदी छंद विधान धीरे धीरे सीख रही हूँ, अपनी प्रिय रचनाओं को उनकी शैली की सीमाओं में शीघ्र ही बाँध सकूं
पुनः आभार.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 7:17pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 5, 2012 at 6:58pm

व्यष्टि को ब्रह्मेष्टि के सापेक्ष सोच पाना और उसका अर्थ निरुपित समझना इस रचना का मूल है.  रचना इन अर्थों में सफल हुई है. इस हेतु हार्दिक बधाई. वैसे अतुकांत (स्वतंत्र) रचनाओं को कहने का अपना एक अलग व्यंजन है. आपकी संलग्नता इसके लिये समयानुसार आवश्यक तथ्य स्वयं उपलब्ध करायेगी.

सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 5, 2012 at 5:07pm

ये दूत है जो खुद आया है , उस परमशक्ति का साया है ,
उसने गुप्त सन्देश पड़ा , जो रूह ने है चुप चाप सुना ,
सत्य राह समझाने दो, अब दूत को तो घर जाने दो ,
जो ज्ञान मिला उसको रखना, हर बूँद मे बस अमृत चखना
उस अमृत मे लय हो कर के , तुम एक नयी दुनिया रचना ,

sahmat. badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 12:24pm

ह्रदय से आभार आदरणीय satish mapatpuri जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 12:23pm
 ह्रदय से आभार आदरणीय AVINASH S BAGDE जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 12:22pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय सीमा अग्रवाल जी..
इस कविता की गहनता को सराहने के लिए आपका ह्रदय से आभार.
Comment by AVINASH S BAGDE on May 4, 2012 at 10:42am

कोई ख़ास जब आता है , क्यूँ वो ही मन को भाता है

दिल बोला पिछले जन्मों का शायद कोई नाता है ...khoob.


जब ब्रह्माण्ड के हर कण से एक रिश्ता सा बन जाएगा ,
रे भोले भाले से मन तू खुद अनंत हो जाएगा !....jeewan ka saar....nice Dr Prachi.

Comment by satish mapatpuri on May 4, 2012 at 3:51am

दिल बोला ,

 अब भ्रम मत पालो , सच से अब तुम आँख मिला लो …

 सच है जब वो आता है , रूह तलक छू जाता है

पर वो आया तुम्हे बताने , इश्वर कैसा होता है ?

 गर भागे जो उसको पाने , ये ही बस एक धोखा है ,

बहुत खूब डॉ . प्राची जी ....... अभिनव .... बधाई स्वीकार करें

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