For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुंदर -असुंदर
रूप-रंग
उच्च-नीच
उतार-चढ़ाव
गुड़िया-गहने
बादल-बिजली
फूल-काँटे
जीत-हार
अपना-पराया
मान-अपमान
सारे भेद
मिटने लगते है
सपने छूटने
लगते है
जब मृत्यु शय्या पर
कोई ईश्वर से प्रार्थना 
कर रहा होता है
मुक्त हो जाने का

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on March 28, 2012 at 4:07pm
आदरणीया सीमा जी
बहुत-२ धन्यवाद्.. अपना कीमती समय निकाल कर आपने मेरी रचनाये पढ़ी, उसे सराहा ,और उत्साहवर्धन
किया.... सादर साभार
Comment by MAHIMA SHREE on March 26, 2012 at 10:49am
नमस्कार नीरज सर सराहने और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 10:47am

पहली दफा आपको पढने का अवसर प्राप्त हुआ महिमा जी, कहना न होगा कि आपको पड़ना बड़ा सुखदायक रहा. कम शब्दों में आला पाए की बात कहने का माद्दा आपकी कविता में साफ़ साफ़ परिलक्षित हो रहा है. इस सुन्दर रचना के लिए मेरा हार्दिक साधुवाद स्वीकार करें.

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 2, 2012 at 10:36am

वाह वाह वाह, यह है कविता , एक अतुकांत कविता, सरल प्रवाह के साथ कम शब्दों में यह कविता जो कह गई , वो बेजोड़ है, कवियित्री बधाई की पात्र है,

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 2, 2012 at 9:32am

Manapmanayo tulyo! satya vachan.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2012 at 11:14pm

हर प्रकार के द्वंद्व से निर्लिप्तता ही मुक्ति का परिचायक है. आपकी रचना इसी वैचारिकता को धारती चलती है. कोई-कोई धीरजशील ही बाह्य-जगत की ओर उन्मुख दृष्टि को अंतर्मन की ओर मोड़ कर अंतः-संसार की अनुभूति कर पाता है. आपकी रचना की अंतर्धारा इसी तथ्य को संतुष्ट करती दीखती है.

आपकी कोई पहली रचना देख/ पढ़ रहा हूँ, महिमाश्री जी. हम आशान्वित हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by MAHIMA SHREE on March 1, 2012 at 9:56pm

आशुतोष जी.....धन्यवाद् ,,आपको मेरी कविता पसंद आई...आभार

Comment by MAHIMA SHREE on March 1, 2012 at 9:16pm
 धन्यवाद् shailendra  ji, आभारी हूँ
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 1, 2012 at 8:53pm

अच्छी  रचना पर बधाई स्वीकार करें 

Comment by MAHIMA SHREE on March 1, 2012 at 8:22pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी, 
आभार आपको मेरी रचना पसंद आई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service