कोई पल ना बीतें काम के बिन हैं
रस्ते जीवन के बहुत कठिन हैं l
खुशी और गम के घूँट घूँट के
अभिलाषायें मन में अनगिन हैं l
साँस जभी तक आस तभी तक
सिमट रहे हर पल पल-छिन हैं l
काया ठगती है क्षमता घटती है
और बुझती सी साँसें बैरिन हैं l
ना होता हर दिन एक समाना
उम्मीदें भी लगतीं नामुमकिन हैं l
काम बहुत और समय रेत है
सब फिसल रहे हाथों से दिन हैं l
मंजिल है दूर कदम शिथिल हैं
अब पगडंडी भी लगती नागिन हैं l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
गजल की सराहना करने का बहुत धन्यबाद, गणेश.
वाह वाह शन्नो दीदी, आप तो अच्छी ग़ज़ल कह दी है, दाद स्वीकार करें |
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