For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"हम बानी कुँवारी"

हम बानी कुँवारी
माँ-बाप के सर पर
एक बोझ बानी भारी
दुल्हा खरीद ना पईनी
हम बानी ऊ अभागन नारी

हम बानी कुँवारी
प्रदर्शनी खातिर लागल
हई कौनो चीज प्यारी
आवेलन लइका वाला
देखे खातिर हमके
पर ऊ त देखेलन,
हमार घर, हमारा बाप के हैसियत
कहेलन ऊ लोग,
दो चार रोज में बताएम
पर हमके पता बा
ऊ लोग नइखे आवे वाला
काहे कि, लइका वाला देखले बा
हमरा दुआरी पर
नाही खडा बा कार
हमरा ड्राईंग रूम मे
सोफा नईखे , अउर
कुर्सि पड़ल बा दो-चार
जब हम छोटी रहनी
तब सोचत रहनी
लोग काहे कहेला
लक्ष्मी ,बहू के
लेकिन,
अब समझ मे आ गइल बा
सचमुच बहु लक्ष्मी होले
और जेकरा घर मे लक्ष्मी ना होला
ऊ बहु ना बन सकेले
ऊ बहु ना बन सकेले।

Views: 512

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 9:46pm
बहुत सुन्दर कविता| एक नारी की विवाह पूर्व मनोदशा का सुन्दर वर्णन|
Comment by BIJAY PATHAK on April 14, 2010 at 1:33pm
Raju,
Tahar prativa (Kavita lekhan) ke hum kayal hai,
Bahut badhiya likhle bara, asahi likhat raha
Bijay Pathak
Comment by Rash Bihari Ravi on April 7, 2010 at 2:08pm
अब समझ मे आ गइल बा
सचमुच बहु लक्ष्मी होले
और जेकरा घर मे लक्ष्मी ना होला
ऊ बहु ना बन सकेले
bah ka bat ba
Comment by Admin on April 7, 2010 at 1:20pm
बेजोड़ कविता बा राउर, एकर जेतना भी तारीफ़ कइल जाव वोतने कम बा ,राउर कविता मे लिखल एक एक चीज आज समाज मे साफ़ दीख रहल बा, आ दहेज़ के दानव आपन बडका मुह बावले खाड बा, एकरा मे कोई एक आदमी दोषी नैखे बल्कि पूरा समाज ही दोषी बा ,लड़की के बाप के महत्वाकांछा भी बराबर के दोषी बा .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 7, 2010 at 7:31am
हम बानी कुँवारी
प्रदर्शनी खातिर लागल
हई कौनो चीज प्यारी
आवेलन लइका वाला
देखे खातिर हमके
पर ऊ त देखेलन,
हमार घर, हमारा बाप के हैसियत
वाह राजू भाई वाह रौवा ता एतना हिरदयस्पर्शी कविता लिखले बानी जवना के कवनो जोड़ नईखे बहुत ही सुंदर और यथार्थ और भावार्थ से परिपूर्ण कविता, आज के चलन पर चोट करत कविता खातिर बहुत बहुत धन्यबाद, अब रौवा लेखनी मे परिपक़्वता सॉफ दिखत बा , लागल रही बहुत सही जात बानी रौवा I
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 6, 2010 at 9:19pm
bahut badhiay raju jee...........aap to ek par el tagda rachna likh rahe hain....
bahut acchha hai aise hi likhte rahiye.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service