For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार वो ख़ुश्बू है जिससे सारा चमन महक उठता है
प्यार वो समझ है जिससे सारी दुनिया शांत हो उठती है

प्यार वो विश्वास है जहाँ अटूट बंधन बाँध लेता है
प्यार वो रंग है जो हर रंग मे मिल जाता है

प्यार बचपन से लेकर जवानी तक एक कहानी लिख जाता है
प्यार जवानी से बुढ़ापे तक एक नई दास्तान बताता है

काश ! हर तरफ़ प्यार ही होता
तो आज दुनिया का एक नया रूप होता

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 9:31pm
आमीन| बहुत सुन्दर विचार|
Comment by Raju on April 6, 2010 at 7:46pm
bahut bahut dhanyawaad ees kavita ke liye...........bahut sunder
Comment by Ratnesh Raman Pathak on April 6, 2010 at 7:17pm


प्यार ...
क्या है यह ?
लफ्ज़ नही है सिर्फ़
जिसे बाँध लिया जाए
किसी सीमा में
और खत्म कर दिया जाए
उसकी अंतहीनता को

प्यार ....
वस्तु भी नही है कोई
यह तो है एक एहसास
एक आश्वासन
जो धीरे धीरे
दिल में उतरता
मुक्त गगन सा विचरता
शब्दों को कविता कर जाता है

प्यार .....
है नयनों में भरा सपना
जो कई अनुरागी रंगो से रंगा
चहकता है पक्षी सा
अंधेरों को उजाले से भरता
नदी सा कल कल करता
बूंद को सागर कर जाता है

प्यार .....
मिलता है सिर्फ़
दिल के उस स्पन्दन पर
जब सारा अस्तित्व मैं से तू हो कर
एक दूजे में खो जाता है
कंटीली राह पर चल कर भी
जीवन को फूलों सा मह्काता है !!
Comment by Rash Bihari Ravi on April 2, 2010 at 6:56pm
bahut khub jabardast
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 2, 2010 at 6:24pm
bahut badhiay raju bhai...
प्यार बचपन से लेकर जवानी तक एक कहानी लिख जाता है
प्यार जवानी से बुढ़ापे तक एक नई दास्तान बताता है
bahut sundar rachna baa raju bhai....aisehi likhat rahi.....
raur agila rachna ke intezaar rahi,.....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 2, 2010 at 6:16pm
प्यार वो विश्वास है जहाँ अटूट बंधन बाँध लेता है
प्यार वो रंग है जो हर रंग मे मिल जाता है


वाह वाह राजू भाई एतना निमन रचना , उहोओ प्यार पर , लागत बा की रौवा के प्यार हो गइल बा, हा हा हा हा , वैसे सच कहल जाव त बहुत खुबसूरत कविता बनल बा
Comment by Admin on April 2, 2010 at 6:12pm
काश ! हर तरफ़ प्यार ही होता
तो आज दुनिया का एक नया रूप होता
बहुत ही सुन्दर रचना है राजू भाई, आपने प्यार को बहुत ही अच्छे तरीका से परिभाषित किया है, यह कविता वाकई तारीफ के काबिल है , बहुत बहुत धन्यवाद इस खुबसूरत रचना के लिये .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
21 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service