For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (फ़ेलुन बह्र)

(आ. समर सर जी की इस्लाह के बाद)

(22 22 22 22)

सोचा कुछ तो होगा उसने

हमको मुड़कर देखा उसने

कौन वफ़ा करता है ऐसी

सारी उम्र सताया उसने 

जुड़ता कैसे ये टूटा दिल

टुकड़े करके छोड़ा उसने 

जब-जब ज़िक्र-ए-उल्फ़त छेड़ा

तब-तब मुझको टोका उसने 

उसको कौन समझ सकता था

बदला रोज़ मुखौटा उसने 

जिसको सबसे बढ़कर चाहा

छोड़ा मुझको तन्हा उसने 

जाकर वापस क्यों आता मैं

बाद-ए-मर्ग पुकारा उसने 

'ज़ैफ़' ग़ज़ल कहता है सच्ची

अच्छा नाम कमाया उसने 

(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 316

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zaif on November 24, 2022 at 4:15am

बहुत शुक्रिया, आ. समर सर। सादर

Comment by Samar kabeer on November 23, 2022 at 11:45am

अब ग़ज़ल ख़ूब हो गई, पुनः बधाई ।

Comment by Zaif on November 18, 2022 at 7:02pm

बहुत शुक्रिया आपका, आदरणीय समर सर, सादर।

Comment by Samar kabeer on November 18, 2022 at 2:14pm

जनाब ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल  का प्रयास अच्छा है , बधाई स्वीकार करें I 

'लाख जुड़ाना चाहा उसने'--- इस मिसरे में 'जुड़ाना' शब्द उचित नहीं है, बदलने का प्रयास करें I  

'जिसको सबसे ज़्यादा चाहा'--- इस मिसरे में आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि सहीह शब्द "ज़ियादा" १२२ है, ग़ज़ल में इसे 22 पर लेना  उचित नहीं, देखिएगा I 

Comment by Zaif on November 16, 2022 at 1:21am

बहुत शुक्रिया आदरणीय, डॉ. छोटेलाल जी।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2022 at 7:34pm

आदरणीय जैफ जी बहुत ही भावपरक एक बेहतरीन गजल पढ़कर हृतकंज सरसित हुआ दिली मुबारकवाद क़ुबूल कीजिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi shared their blog post on Facebook
10 hours ago
Balram Dhakar posted a blog post

ग़ज़ल : बलराम धाकड़ (पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।)

22 22 22 22 22 2 पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।उनके मन में भी सौ अजगर बैठे हैं। 'ए' की बेटी,…See More
10 hours ago
Usha Awasthi posted a blog post

मन नहीं है

मन नहीं हैउषा अवस्थीअब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है क्या कहें ? साहित्य के नाम परचलाए जा रहे व्यापार…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post सावन गीत....कजरी
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर कजरी हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') posted a blog post

भविष्य निधि (लघुकथा)

                                                    एक सर्वेक्षण-कर्ता की डायरी दिनांक :- ३०…See More
Tuesday
Balram Dhakar posted a blog post

ग़ज़ल: अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।

1222 1222 1222 1222 अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।किराए का सही कोई ठिकाना मिल ही जाएगा।.अगर…See More
Tuesday
Balram Dhakar commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल : बलराम धाकड़ (पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।)
"बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय समर सर. सादर."
Tuesday
Balram Dhakar commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल- बलराम धाकड़ (मुहब्बत के सफ़र में सैकड़ों आज़ार आने हैं)
"आदरणीय दण्डपाणी जी, हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. सादर."
Tuesday
Balram Dhakar commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल- बलराम धाकड़ (मुहब्बत के सफ़र में सैकड़ों आज़ार आने हैं)
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका, आदरणीय दयाराम जी. सादर."
Tuesday
Balram Dhakar commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल- बलराम धाकड़ (मुहब्बत के सफ़र में सैकड़ों आज़ार आने हैं)
"आदरणीय अजय तिवारी जी, हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया. आपको ग़ज़ल पसंद आई, मेरा कहना सार्थक…"
Tuesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service