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ग़ज़ल (ऐ ख़ुदा दिल को क्या हुआ है ये)

2122 - 1212 - 22/112

ऐ ख़ुदा  दिल को  क्या  हुआ  है ये
किसकी  चाहत  में खो  गया  है ये

पेट  में   तितलियाँ   सी  उड़ती  हैं
इश्क़  की  क्या  ही  इब्तिदा  है  ये

याद-ए-जानाँ  तो  है दवा  है  गोया
दिल-ए-मुज़्तर  का  आसरा   है  ये

कौन  सुन  पायेगा   मेरे   दिल  की
दिल-ए-सोज़ाँ   तो   बे-सदा   है  ये

सोज़-ए-दिल से हुआ है दिल बेकल
सद्र   से   फिर  धुआँ   उठा   है  ये

फिर   तेरे   शौक़िया   निशाने   पर
दिल  मेरा   हाय !  आ  गया  है  ये

अब तो रहने दो बस करो न 'अमीर'
भूत    कैसा    तुम्हें   चढ़ा    है   ये

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 4, 2022 at 10:50pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 4, 2022 at 8:11pm

वाह बहुतख़ूब बहुतख़ूब आदरणीय... बधाई

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 24, 2022 at 9:36am

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2022 at 9:54pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है।हार्दिक बधाई। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2022 at 6:23pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 23, 2022 at 11:12am

पेट में तितलियाँ सी उड़ती हैं
इश्क़ की क्या ही इब्तिदा है ये..........वाह ! बहुत खूब.

 आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहब, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. बहुत-बहुत मुबारकबाद  क़ुबूलें. सादर

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