For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सर झुका दूँ तेरे दर पर, ये मुझे करना नहीं

जान दे दूं हंस के लेकिन डर के है मरना नहीं

हाँथ जोडू पैर पकड़ूँ न तेरी मिन्नत करूँ

अपने ख़ातिर तेरे आगे डर के न तौबा करूँ

तू ने ही बनाया सबको जो ये चाहे सोच ले

तेरे ही लिखे पे फिर क्यों तेरा ही ना बस चले

तू अगर अगर है जन्मदाता सबका पालन हार है

जो दबे हैं उनपर दुःख का क्यों तोड़ता पहाड़ है ?

मैं ना जाऊँ मंदिरों में तेरी पूजा के लिए

ना जलाऊं आरती में घी के एक भी दिए

क्यूँ चढ़ाऊँ तेरे पग पर फूलों की मालाओं को

क्यों न खुद ही शांत कर लूँ अपनी मन की ज्वालाओं को

मैंने तूझको ना बुलाया जब भी मैं लाचार था

साथ उनके तू खड़ा था जिनमे व्यभिचार था

क्यों ना तूने हाँथ थामा सडको पर मैं जब सोया था

आंसू मेरे क्यों ना पोछे जब अकेले में मैं रोया था

जन्म देते मां को छिना बाप का पता नहीं

झुग्गियों में दिन बिताया रात की परवाह नहीं

आज कहते है सभी ये पैर तेरे मैं पडूँ

तूने ही सब दिया है मुझको सबसे मैं कहता फिरूं

पाया आज जो भी मैंने खुद हीं सब हासील किया

एक भी मदद को तेरे उसमे न शामिल किया

जो भी हूँ मैं जैसा भी हूँ वैसा ही रह जाऊँगा

पूजा तुझको कभी ना मैंने पूज भी ना पाऊंगा

"मौलिक व अप्रकाशित"

अमन सिन्हा 

Views: 442

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 21, 2021 at 8:14pm

आदरणीय श्री अमन सिन्हा जी नमस्कार। भावों को कविता में ढालने का बेहतर प्रयास किया है आपने। बधाई स्वीकार करें।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 18, 2021 at 9:42pm

आ. भाई अमन जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by AMAN SINHA on September 15, 2021 at 11:59am

@समर कबीर साहब, 

आपके निरंतर टिप्पणी से मुझे ये उम्मिद जगती है कि मेरी रचनाएं कम से कम पढने योग्य तो है। 

इसी तरह मेरी हिम्मत बढाते रहे। 

Comment by Samar kabeer on September 14, 2021 at 7:54pm

जनाब अमन सिन्हा जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
18 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service