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मनुज कभी न हारेगा

समय का चक्र घूमता

कठोर काल झूमता

प्रचंड वेग धारता

दहाड़ता , पछाड़ता

लपक- लपक, झपक - झपक

नगर - नगर , डगर- डगर

मृत्यु - बिगुल फूँकता

बन के वज्र टूटता

सिरिंज की कमान से

वैक्सिन के वाण से

संक्रमण को नष्ट कर

यह कोरोना ध्वस्त कर

निकालेगा जहान से

खड़ा हुआ वो शान से

विजय ध्वजा को धारेगा

मनुज कभी न हारेगा

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Usha Awasthi on January 10, 2021 at 10:51am

हार्दिक धन्यवाद आपको आदरणीया

Comment by pratibha pande on January 10, 2021 at 10:13am

मानव की शक्ति का विश्वास जगाती उत्सव मनाती इस प्रभावी रचना के लिये हार्दिक बधाई आदरणीया

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