For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती।

221 2121 1221 212


हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती
करके कोई दुआ भी यूँ गाई नहीं जाती।1

दिल आपकेे है बस में ये अब जानते हैं हम
जादूगरी ऐसी भी दिखाई नहीं जाती।2

हैं दर्द-ओ-ग़म भरे हुए इतने कि क्या कहें
ये दास्तान दिल की सुनाई नहीं जाती।3

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में
बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं जाती।4

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी
हमसे अकेले ईद मनाई नहीं जाती।5

दिल आपका दुखा तो मुआफ़ी हैं मांगते
हमसे कोई भी बात बढ़ाई नहीं जाती।6

करके अहद वफ़ा का मुकरते हैं सब "रिया"
कोई भी रश्म तन्हा निभाई नहीं जाती।7


"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 19, 2020 at 5:40pm

मुहतरमा ऋचा यादव जी आपकी आवाज़ पर फिर से हाज़िर हुआ हूँ ,

हर बात हम से दिल की बताई नहीं गई         सानी मिसरा यूँ कर सकते हैं :

करके कोई दुआ भी तो गाई नहीं गई [1]      चहरे पे जो अयाँ थी छुपाई नहीं गई

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में.            ऊला मिसरा यूँ कर सकते हैं : 

बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं गई।4          ये बदगुमानी क्यों है हमें कुछ ख़बर नहीं 

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी     यहाँ 'होगी' को 'होंगी' कर लें

दिल आपका दुखा तो मुआफ़ी हैं मांगते        ऊला मिसरा यूँ कर सकते हैं : 

हमसे कोई भी बात बढ़ाई नहीं गई।6.          उनका जो दिल दुखा तो मुआफ़ी भी मांग ली 

करके अहद वफ़ा का मुकरते हैं सब "रिया"   इस शे'र को यूँ कह सकते हैं :

कोई भी रस्म तन्हा निभाई नहीं गई।7          कर के वफ़ा का अह्द मुकरते हैं अब 'रिया'

                                                             उनसे वफ़ा की रस्म निबाही नहीं गई           सादर। 

कोई भी रस्म तन्हा निभाई नहीं गई।7

Comment by Samar kabeer on December 11, 2020 at 2:58pm

मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

पहली बात ये कि ग़ज़ल में कोई भी बदलाव कुछ टिप्पणियाँ आने के बाद किया करें ।

दूसरी बात आपकी ग़ज़ल के अरकान बिल्कुल दुरुस्त हैं ।

अब चूँकि आपने बदलाव कर लिया है,इसलिये मैं आपकी तरमीम शुदा ग़ज़ल पर बात करूँगा ।

'हर बात हम से दिल की बताई नहीं गई
करके कोई दुआ भी तो गाई नहीं गई'

इस मतले का सानी बदलने का प्रयास करें 'दुआ गाई नहीं गई' ठीक नहीं लगता,दुआ माँगी जाती है ।

'करके अहद वफ़ा का मुकरते हैं सब "रिया" '

इस मिसरे में "अह्द" शब्द का वज़्न 21 है,इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं:-

'कर के वफ़ा का अह्द मुकरते हैं सब 'रिया'

बाक़ी अशआर ठीक हैं ।

Comment by Richa Yadav on December 10, 2020 at 3:59pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'जी

नमस्कार

आपका बहुत शुक्रिया इतनी बारीक़ी से देख कर गलती

बताने के लिए। कुछ सुधार किया है,कृपया बताइये

क्या अब ये ठीक है?

सादर।।

221 / 2121 / 1221 / 212
हर बात हम से दिल की बताई नहीं गई
करके कोई दुआ भी तो गाई नहीं गई [1]

दिल आपकेे है बस में ये अब जानते हैं हम
जादूगरी ये हमसे दिखाई नहीं गई।2

हैं दर्द-ओ-ग़म भरे हुए इतने कि क्या कहें
ये दास्तान दिल की सुनाई नहीं गई।3

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में
बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं गई।4

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी
हमसे अकेले ईद मनाई नहीं गई।5

दिल आपका दुखा तो मुआफ़ी हैं मांगते
हमसे कोई भी बात बढ़ाई नहीं गई।6

करके अहद वफ़ा का मुकरते हैं सब "रिया"
कोई भी रस्म तन्हा निभाई नहीं गई।7

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 8, 2020 at 4:08pm

मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, मगर एक तो आपने जो अरकान लिखे हैं वो ठीक से नहीं लिखे हैं अरकान यूँ लिखें : 2212 - 12112 - 212 - 22  मुस्तफ़यलुन-मफ़ाइलतुन-फ़ाइलुन-2फ़ा दूसरे ये अरकान/बह्र सिर्फ आपकी ग़ज़ल के मतले और दीगर अशआर के सानी मिसरों के मुताबिक़ है मिसरा-ए-ऊला आपको बदलना होंगे, या फिर आपको रदीफ़ को बदलना होगा। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service