For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न भुज-बल है और न धन-बल , सबसे बड़ा मनुज बुद्धि-बल |(९०)

एक गीत
**
न भुज-बल है और न धन-बल ,
मनुज बड़ा सबसे   बुद्धि-बल |
**
अभिमानी करते हैं केवल नित्य प्रदर्शन अपने धन का |
डर फैलाते चन्द भुजबली रोब दिखाकर अपने तन का |
लक्ष्मी जैसे ही रूठेगी सर्वनाश होना निश्चित है |
मिला स्वयं से शक्तिमान तो गर्व नाश होना निश्चित है |
कहने का बस अर्थ यही है धन-बल भुज-बल हैं अस्थायी,
किन्तु भ्रष्ट नहीं हो जब तक
अक़्ल कभी न करती है छल |
**
न भुज-बल है और .......
**
हथियारों के बल पर किस ने अब तक युद्धों को जीता है |
बुद्धिमान हो सेना-नायक वही विजय-अमरित पीता है |
अस्त्र शस्त्र से नहीं समन्वय रण कौशल का यदि होता है |
चाहे हो कितना बलशाली नायक निज गरिमा खोता है |
महा-युद्ध वे पांडव बंधू जीत कभी भी क्या सकते थे,
पृष्ठ भाग में यदि कृष्ण का
तनिक न होता बुद्धि-कौशल |
**
न भुज-बल है और .......
**
आज जिधर भी देखें हम तो नफ़रत बल हावी दिखता है |
राजनीति की लिप्साओं से लगता ज्यों इसका रिश्ता है |
मजहब और जाति के कारण अब भी होते रहते दंगे |
जितने भी दल हैं भारत में स्नानघरों में सारे नंगे |
एक उपाय बचा है केवल राह प्रेम की सब अपनाएँ ,
धन-बल भुज-बल बुद्धि-बल से
इत्तर होता है प्रीति-बल |
**
न भुज-बल है और .......
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 26, 2020 at 8:31am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी , उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार एवं नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 26, 2020 at 8:31am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी , आपकी सराहना के लिए सादर आभार 

Comment by Shyam Narain Verma on April 26, 2020 at 5:10am
नमस्ते जी, समसामयिक परिस्थितियों में बहुत ही सुंदर गीत, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by नाथ सोनांचली on April 26, 2020 at 1:20am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बहुत ही बेहतरीन रचना लिखी आपने। पढ़ कर मन हरियर हो गया। बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service