आज आंखें नम हुईंं तो क्या हुआ
रो न पाए हम कभी अर्सा हुआ
आपबीती क्या सुनाऊंगा उसे
आज भी तो है गला बैठा हुआ
ढूंढता हूँ इक सितारे को यहाँ
दूर तक है आसमां फैला हुआ
क्यों क़रीने से रखें सामान को
घर को रहने दीजिये बिखरा हुआ
नींद पलकों पर कहीं ठहरी हुई
ख़्वाब आंखों में वहीं सहमा हुआ
जी रहा हूँ बस इसी उम्मीद से
लौट आएगा समय बीता हुआ
हादसे ऐसे भी तो होते रहे
जो नहीं बोया वही पैदा हुआ
2122 2122 212
*मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
'नींद पलकों पर कहीं ठहरी हुई'
ये मिसरा ठीक है ।
//एक बार पोस्ट करने के बाद करेक्शन कैसे करूँ?//
ग़ज़ल के साथ एडिट करने का ऑप्शन है,जब आप एडिट कर देंगे तो फिर से अप्रूवल के लिए जाएगी,कुछ देर में अप्रूव हो जाएगी ।
जनाब सालिक गणवीर जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'आज आंखें नम हुई तो क्या हुआ'
इस मिसरे में 'हुई' को "हुईं" कर लें ।
दूर तक है आसमां फैला हुआ
'क्यों करीने से रखें सामान को'
इस मिसरे में 'करीने' को "क़रीने" कर लें ।
'नींद सिरहाने पर है ठहरी हुई'
इस मिसरे में 'सिरहाने' का वज़्न आपने 222 लेकर अंतिम गुरु को लघु लिया है,जबकि 'सिरहाने' को लिखा ऐसे जाता है पर इसका वज़्न "सिराने'122 लिया जाता है,इसे बदलने का प्रयास करें ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online