कैसा हाहाकार मचा है मालिक करुणा बरसाओ
सन्नाटा खुद चीख रहा है मालिक करुणा बरसाओ
भूख, गरीबी, लाचारी से पहले ही आतंकित थे
एक नया तूफान उठा है मालिक करुणा बरसाओ
वादा तुमने किया था सबसे भीड़ पड़ी तो आओगे
खतरे में फिर मानवता है मालिक करुणा बरसाओ
कौन सुनेगा टेर हमारी बिना तुम्हारे ओ पालक
बेबस मानव कांप गया है मालिक करुणा बरसाओ
तुमने साथ दिया न तो फिर किसके दर पर जाएंगे
सबके मन मे व्याकुलता है मालिक करुणा बरसाओ
अपने सब अपराध तुम्हारे सामने हम स्वीकारते हैं
दीन हीन मन में पीड़ा है मालिक करुणा बरसाओ
ऐसे तो मिट ही जाएगी मानवता की ये थाती
जहर हवा में घूम रहा है मालिक करुणा बरसाओ
एक नज़र रहमत की कर दो मिट जाए ये अंधियारा
अहसास यही विनती करता है मालिक करुणा बरसाओ
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
जनाब मनोज अहसास जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
'तुमने साथ दिया न तो फिर किसके दर पर जाएंगे'
इस मिसरे को सुधारने का प्रयास करें ।
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