For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँख-मिचौनी

साँझ के रंगीन धुँधलके ...

आँख-मिचोनी खेलते

एक दूसरे को टटोलते

मद्धम रोशनी में उभरती रही

कोई पवित्र विलुप्त लालसा

आवेगों में खो जाने की

खो कर फिर तुम्हें पा लेने की

मुँडेर को पार करते

जानबूझ तुम्हारा धीरे हो जाना

दीखती लालसा सहसा

पकड़ में आकर फ़ासलों के पार

कुछ पल सुरक्षित, छिपी-छिपी मुझमें

अकेली, मेरी बाहों में रहने की

फिर डरती .. "हाय, कोई देख न ले"

सुन्दरतम पल थे आँख मिचोनी के

हम दोनों का वह टकरा जाना

समर्पण में मेरे सीने पर कभी

झुका हुआ माथा और झुक जाना

कभी पीछे से मुझको बाहों में भर

हँस देना, हँसती ही चली जाना, उन्मत 

लिए आंचल में में सात समुद्रों का ज्वार

"पकड़ लिया न, 

अब न जाने दूँगी कभी बाहों से बाहर"

कुहुकती हो कानों में... "मान लो हार"

बाहों में तुम्हारी हार जाना ही, प्रिय

जानती हो, धड़कन की जीत थी मेरी

मुझमें लुप्त हो जाने के बहाने

जीत की तरतीब वह तुम्हारी भी थी

नवजात झूमते गुलमोहर के फूल-सी

तुम्हारी वह बच्चे-सी प्रवाही हँसी

खुल जाते थे भीतर हमारे दरवाज़े सारे

मुसकराती रहती थी अविवेकी मन में

अकुलाती इच्छा कि कह दूँ तुमसे तत्पर

तुम न जाओ अभी, रखूँ मैं बाहों में तुमको

खेलें हम ऐसे ही सौ साल तक आँख-मिचौनी

ज़िन्दगी के झुठलाते-झूठे

अजनबी मैदान में

किराय के मकान में

यही है शायद

स्नेह की शब्दावली

         -------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 11, 2020 at 5:47pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार,मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 11, 2020 at 11:46am

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on February 8, 2020 at 5:11pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी

Comment by Samar kabeer on February 8, 2020 at 2:54pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत उम्द: कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
56 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान की परिभाषा कर्म - केंद्रित हो, वही उचित है। आदरणीय उस्मानी जी, बेहतर लघुकथा के लिए बधाइयाँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी दोनों सहकर्मी है।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। कई…"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मिथिलेश जी, इतना ही कहूँ,   ... ' पहचान पता न चले। बस। ' रहस्य - रोमांच…"
7 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय उस्मानी जी, लघुकथा की मार्मिकता की परख हेतु आपका दिली आभार। "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service