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गज़ल -16 ( सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए)

बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन, फ़ाइलुन, फ़ाइलुन

पूछते हो जो क्या चाहिए
सिर्फ माँ की दुआ चाहिए//१

ख़्वाब मुरझा गए हैं अगर
ख़्वाब की ही दवा चाहिए//२

ज़िन्दगी अब मुकम्मल हुई
तुम मिले और क्या चाहिए//३

आ गए हैं सितारे मगर
चाँद का आसरा चाहिए//४

क़ैद में ही रहीं तितलियां
अब उन्हें भी हवा चाहिए//५

शाइरी का गुमाँ मत करो
खूब ही तज्रिबा चाहिए//६

ज़ुल्म क्यों ख़त्म होगा नहीं
जब्र की इंतहा चाहिए//७

प्यार है ग़र गुनाहे अज़ीम
फिर तो सबको सज़ा चाहिए//८

मौत क्या ज़ख़्म देगी मुझे
ज़िन्दगी की सज़ा चाहिए/९

चाँदनी तो मचल ही उठी
अब 'क़मर' की वफ़ा चाहिए//१०

-- क़मर जौनपुरी

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Comment

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Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 23, 2018 at 1:40pm

आदरणीय कमर साहब बेहतरीन गजल के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2018 at 12:15pm

बहुत बढ़िया ज़नाब..क्या खूब ग़ज़ल कही है..

Comment by राज़ नवादवी on December 21, 2018 at 11:34am

आदरणीय क़मर जौनपुरी साहिब आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के सात बधाई स्वीकार करें. सादर 

Comment by क़मर जौनपुरी on December 21, 2018 at 10:47am

बहुत बहुत शुक्रिया उस्तादे मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।

Comment by Samar kabeer on December 20, 2018 at 3:13pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

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