सुनो ऋतुराज- 15
सुनो ऋतुराज!!
वह एक अन्धी दौड थी
हांफती हुई
हदें फलांगती हुई
परिभाषाओं के सहश्र बाड़ो को
तोडती हुई
फिर भी वह भ्रम नही टूटा
जिसे तोडने के लिये संकल्पित थे हम
ऋतुओं का मौन यूँ ही बना रहा
सावन बरस् बरस कर सूख गया
हम अन्धड़ के वेग मे भी तने रहे
और आसक्ति का वृक्ष सूख गया
सुनो ऋतुराज
लमहों का बही खाता
जब भी खोलोगे
दग्ध ह्रदय पर लिखा
शुभलाभ अवश्य दिखेगा
प्रतीक्षा के तोरणद्वार पर
मिलन का रिक्त मंगलघट भी दिखेगा
दिखेगी वह पगडन्डी भी
जो बन गई थी उस
अन्धी दौड की एक मात्र गवाह
सुनो ऋतुराज
मिथ्या है विलय
भ्रामक है एकात्म की अवधारणा पर
प्रेम की गणना
सत्य तो यह है कि
हम भी हैं और तुम भी हो
एक दूजे के साथ भी
एक दूजे के बिना भी ....................................
gul sarika
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
एक बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें आ0 सारिका जी....
आदरणीया बहुत गहन कथ्य प्रस्तुत किया है आपने ५
मिथ्या है विलय
भ्रामक है एकात्म की अवधारणा पर
प्रेम की गणना
सत्य तो यह है कि
हम भी हैं और तुम भी हो
एक दूजे के साथ भी
एक दूजे के बिना भी .............. वाह बधाई
बहुत ही गहन अनुभूत कथ्य को बिम्बों के माध्यम से निर्बाध कहती गयी अभिव्यक्ति..
पूर्ण समर्पण भी निज अस्तित्वों का विलय कर एकत्व की अवधारणा पर मानवीय इकाइयों के प्रेम को शतप्रतिशत खरा नहीं पाता..
ये भी सच है कि खोने को कुछ नहीं होता लम्हों के बही खातों पर अनुभव का शुभलाभ तो सदा सर्वदा ही प्राप्य है
और अंत में एक सत्य
हम भी हैं और तुम भी हो
एक दूजे के साथ भी
एक दूजे के बिना भी..............बहुत सुन्दर!
ऐसी अभिव्यक्तियाँ मन हृदय चिंतन मनन हर स्तर पर पाठक को स्पर्श करती हैं...बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.
सादर.
आदरणीया. गुल जी
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई.
सुनो ऋतुराज
लमहों का बही खाता
जब भी खोलोगे
दग्ध ह्रदय पर लिखा
शुभलाभ अवश्य दिखेगा
प्रतीक्षा के तोरणद्वार पर
मिलन का रिक्त मंगलघट भी दिखेगा .....
सुनो ऋतुराज
मिथ्या है विलय
भ्रामक है एकात्म की अवधारणा पर
प्रेम की गणना
सत्य तो यह है कि
हम भी हैं और तुम भी हो
एक दूजे के साथ भी
एक दूजे के बिना भी ....................................
The poem ends well . I appreciate the feelings.
खूबसूरत रचना हार्दिक बधाई आपको !
आदरणीया ओ बी ओ परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है आपकी रचना प्रथम बार पढ़ रहा हूँ, बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये हैं आपने रचना में, रचना मुझे पसंद आई बधाई स्वीकारें.
सुन्दर अभिव्यक्ति | बहुत बहुत बधाई आप को
Abhar Ram shirmomani pathak jee .. Shijju shakoor jee ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ,,,,,,,बहुत बहुत बधाई आदरणीया गुल जी। ।सादर
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