For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाज
--
चिड़िया ने पंख फड़फड़ाये।उड़ने को उद्यत हुई।उड़ी भी,पर पंख लड़खड़ा गये।उसे सहसा एक झोंका महसूस हुआ।।वह गिरते-गिरते बची,उसमें कुछ दूर उड़ती गयी।वह एक बड़ा पंख था,जो उसे हवा दे रहा था।वह उड़ती जा रही थी।कभी-कभी उसे उस बड़े पंख का दबाव सताता।वह कसमसाती,पर और ऊपर तक उड़ने की ख्वाहिश और जमीन पर गिरने के भय में टंगी वह घुटी भी,उड़ी भी......उड़ती रही।ऊँची शीतल हवाओं का सिहरन भरा स्पर्श उसे आंनदित करता।वह उस कंटकित पंख की चुभन जनित अपने सारे दुःख-दैन्य भूलकर उड़ती रही,तबतक जबतक उसे एक ऊँचाई न मिल गई;वह जमीन पर गिरने के भय से मुक्त न हो गई।उसने इधर-उधर निहारा।दुनिया उसे देख रही थी।लोगों की आँखों में उसे अपना विवस्र कद दिखा।वह चिल्लाई
-बाज़,बाज़
-क्या हुआ?' बगल की खग-मंडली से आवाज आई।
-मैं बाज के पंजे में हूँ।
-कब से?
-अरसा हुआ।जब मैं उड़ते-उड़ते लड़खड़ाई थी,तब एक पंख की हवा ने संभाला था।अब उसकी छुवन चुभती है।
-और तब?
-तब मैं नादान थी।खूब ऊँचा उड़ने की चाह थी।
-और अब ऊँचाई मिल गई है।यही न?' एक चिड़िया ने चुटकी ली।
फिर चिड़ी-दल में कानाफूसी शुरू हो गई।फिर जैसे निर्णय हो गया।
-हाँ मेरे साथ भी ऐसा हुआ था,'एक अन्य चिड़ी बोली।
-मैं भी प्रताड़ित हुई हूँ', दूसरी आवाज आई
फिर वातावरण में 'हाँ मैं भी.....मैं भी',की ध्वनि गूँजने लगी।और गौरैया अविचलित भाव से उड़ चली,यह कहते हुए कि ----अपुन के पंख काफी हैं,अपने लिए।'
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 941

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 13, 2018 at 11:53am

आदरणीय वृष्टि जी,बहुत बहुत आभार।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 13, 2018 at 9:23am
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी,प्रणाम! बहुत ही अच्छी और प्रासंगिक लघुकथा। बधाई स्वीकार करें!
Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2018 at 6:52pm

आदरणीय उस्मानीजी,आपकी स्नेहपूर्ण टिप्पणी प्रेरणास्पद है,सादर।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 12, 2018 at 6:20pm

'खग-संसार' और  'बाज़गीरी वाले 'बाज़ीगरों' के तज़र्बात से दो-चार होते गौरैया जैसे पक्षियों और पीड़ित खग-संसार पर बेहतरीन यथार्थपूर्ण प्रतीकात्मक/मानवेतर सृजन हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।

Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2018 at 4:03pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय समर जी,नमन।

Comment by Samar kabeer on October 12, 2018 at 2:55pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service